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साहिबाबाद थाने में एक युवक से कस्टडी में मारपीट करने और दो लाख रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट ने तत्कालीन सीओ(आईपीएस) सहित चार पुलिस वालों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इनमें से आईपीएस आशीष श्रीवास्तव फिलहाल श्रावस्ती जिले के पुलिस अधीक्षक हैं।
साहिबाबाद स्थित राजेंद्रनगर 7/15 निवासी मीनाक्षी शर्मा ने विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि छह दिसंबर 2016 को उनके बड़े भाई विजय शर्मा को साहिबाबाद थाने की पुलिस गैर कानूनी तरीके से उठाकर ले गई थी। परिजन जब थाने पहुंचे तो पुलिस वालों ने बताया कि छुड़वाने के बदले दो लाख रुपये देने होंगे। मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि अगली सुबह मोहननगर पुलिस चौकी इंचार्ज राधेश्याम ने कहा कि एसएचओ शीला चौधरी को सीओ बॉर्डर आशीष श्रीवास्तव ने केस बनाने के लिए कह दिया है। मीनाक्षी का कहना है कि पुलिस वालों ने उनके भाई से मारपीट की और दो दिन तक अवैध हिरासत में रखने के बाद आठ सितंबर को जेल भेज दिया। मेडिकल रिपोर्ट में भी मारपीट की पुष्टि हुई। मीनाक्षी ने आरोपी पुलिस वालों पर केस दर्ज करने के लिए तहरीर दी, लेकिन मुकदमा नहीं हुआ।
सुनवाई के बाद अपर जिला जज मनजीत सिंह श्यौरान ने तत्कालीन सीओ बॉर्डर आशीष श्रीवास्तव, अपराध शाखा गाजियाबाद की निरीक्षक शीला चौधरी, साहिबाबाद थाने की एसओजी के सिपाही दीपक और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। आशीष श्रीवास्तव फिलहाल श्रावस्ती जिले के एसपी हैं। उनका कहना है कि विजय शर्मा को पोर्न फिल्म के जरिये लड़की को ब्लैकमेल करने के आरोप में पकड़ा गया था। इसके पुख्ता सुबूत भी मौजूद हैं।