इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण का मुआवजा देने का फैसला सुरक्षित रखा

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RGAन्यूज़

भूमि अधिग्रहण का मुआवजा देने का फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा है। अपर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि भूमि अधिग्रहण कानून की धारा-113 में प्राविधान है कि यदि किसी बात पर विवाद है तो केंद्र सरकार का आदेश उस संबंध में माना जाए

भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू होने से पूर्व अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा मामले में हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित 

प्रयागराज,। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू होने से पूर्व अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा नए कानून के तहत दिया जाएगा अथवा नहीं? इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा यदि नए कानून के आने से पहले नहीं दिया गया है तो उसी (नए कानून) के अनुसार दिया जाना चाहिए।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने पुनर्विचार अ

इस आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने पुनर्विचार अर्जी दाखिल की है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने पुनर्विचार अर्जी की सुनवाई की।

अपर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की कार्रवाई से जुड़े

अपर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की कार्रवाई से जुड़े। कहा कि इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी और क्यूरेटिव पेटीशन खारिज कर दी है। तुषार मेहता ने बहस की कि सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी खारिज होने के बाद भी हाई कोर्ट में उसके फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका दाखिल की जा सकती है। ऐसे मामले में रिव्यू दाखिल करने का अधिकार है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हाई कोर्ट का आदेश मर्ज नहीं हुआ है। इसलिए यहां ला आफ मर्जर लागू नहीं होगा। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका कोई कारण बताकर खारिज की हो

याची का कहना था कि सरकार वादे से मुकर रही है

तुषार मेहता ने दलील दी कि भूमि अधिग्रहण कानून की धारा-113 में प्राविधान है कि यदि किसी बात पर विवाद है तो केंद्र सरकार का आदेश उस संबंध में माना जाएगा। केंद्र सरकार ने अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने की तारीख से मुआवजा दिए जाने का निर्णय लिया है। याची का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई निर्णयों में नए कानून से मुआवजा देने का निर्देश दिया है, क्योंकि केंद्र सरकार ने न्यायालय में ऐसा आश्वासन दिया है। अब सरकार अपने वादे से मुकर नहीं सकती है

कानून में यह है अंतर

भूमि अधिग्रहण कानून-2013 में प्राविधान है कि सरकार यदि कृषि भूमि का अधिग्रहण करती है तो मार्केट रेट का चार गुना मुआवजा देना होगा। यदि जमीन आवासीय या शहरी है तो मार्केट रेट का दोगुना मुआवजा देना पड़ेगा। वहीं, पुराने कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। चूंकि किसानों की जमीन के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के समय नया कानून नहीं आया था। अवार्ड घोषित करते समय नया कानून अस्तित्व में चुका था। इसलिए किसानों ने नए कानून के तहत मुआवजे की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी।

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