जरूर करें आज रसोई में ये काम नहीं होगी कभी अन्न की कमी, जानिए आज के दिन का महत्व

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RGA न्यूज़

Annapurna Jayanti अन्नपूर्णा यानी धान्य (अन्न) की अधिष्ठात्री देवी। मां अन्नपूर्णा भी आदिशक्ति मां पार्वती का ही रूप हैं। इन्हें अन्नदा व शाकुम्भरी भी कहते हैं। मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्ति के लिए उनकी सच्चे मन से आराधना कर

अगहन महीने की पूर्णिमा पर मां अन्नपूर्णा की पूजा करने का विधान बताया गया है।

आगरा,। सनातन धर्म में भाेजन पकाने के स्थान यानी रसोई को बहुत ही पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि जिसकी रसाेई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है वहां अन्न की कभी कमी नहीं होती। आज रविवार को अन्नपूर्णा जयंती को इसी कारण महत्वपूर्ण माना गया है। 

ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार हिंदू धर्म में मां अन्नपूर्णा को संसार का भरण पोषण करने वाली शक्ति माना जाता है। लगभग सभी घरों के रसोई घर में देवी अन्नपूर्णा की तस्वीर जरूर होती है। कहा जाता है इनकी कृपा से घर में बरकत बनी रहती है। जिससे घर में कभी खाने की चीजों की कमी नहीं आती। अगहन महीने की पूर्णिमा पर इनकी पूजा करने का विधान बताया गया ह

जानिए महत्व

अन्नपूर्णा यानी धान्य (अन्न) की अधिष्ठात्री देवी। मां अन्नपूर्णा भी आदिशक्ति मां पार्वती का ही रूप हैं। इन्हें अन्नदा व शाकुम्भरी भी कहते हैं। मां अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्ति के लिए उनकी सच्चे मन से आराधना करें।

मां अन्नपूर्णा पूजन विधि

- सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें।

- पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।

- खाना पकाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें। धूप दीप प्रज्वलित करें

- अन्नपूर्णा जयंती पर रसोई घर में माता अन्नपूर्णा का एक चित्र जरूर लगाएं व श्रद्धा से पूजा करें।

प्रचलित कथा

शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार एक बार काशी में अकाल पड़ा था और लोग भूख से व्याकुल थे। तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने भिक्षा के साथ-साथ भगवान शिव को यह वचन भी दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा। यह भी कहा जाता है कि काशी में आने वाले हर किसी को मां के ही आशीर्वाद से अन्न प्राप्त होता है। काशी में मां अन्नपूर्णा का भव्य मंदिर भी है। 

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