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कोरोना संक्रमण के दो वैरिएंट ओमिक्रोन और डेल्टा के संक्रमण से मिलकर तीसरा एंटीजेनिक शिफ्ट वैरिएंट कहर ढाए इससे पहले सरकार बच्चों को कोरोना रोधी टीकाकरण कराने की तैयारी कर रही है। विश्चस्त सूत्रों की मानें तो बच्चों में टीकाकरण जनवरी में शुरू हो जा
विड-19 के नए वेरिएंट एंटिजेनिक शिफ्ट से पहले बच्चों कोरोनारोधी टीकाकरण की तैयारी, जानिए कब से शुरू होगा वैक्सीनेशन
बरेली,। : कोरोना संक्रमण के दो वैरिएंट ओमिक्रोन और डेल्टा के संक्रमण से मिलकर तीसरा एंटीजेनिक शिफ्ट वैरिएंट कहर ढाए, इससे पहले सरकार बच्चों को कोरोना रोधी टीकाकरण कराने की तैयारी कर रही है। विश्चस्त सूत्रों की मानें तो बच्चों में टीकाकरण जनवरी में शुरू हो जाएगा। डब्ल्यूएचओ भी ओमिक्रोन के तेजी से फैलते हुए बूस्टर डोज और बच्चों के टीकाकरण की संस्तुति पहले ही कर चुका
इंडियन पीडियाट्रिक एकेडमी (आइएपी )
भारत बायोटेक ने सबसे पहले 12 से 18 साल के किशोरों को सबसे पहले ट्रायल किया था, जो सफल होने पर छह से 12 साल के बच्चों और अंत में दो से छह साल के बच्चों पर टीकाकरण का ट्रायल किया गया था। तीनों ही वर्गों के परिणाम लगभग बराबर थे। यही वजह थी कि सरकार ने दो से 18 वर्ष के बच्चों के टीकाकरण करने की अनुमति 12 अक्टूबर को दे दी थी। इस बारे में साइंस आफ वैक्सीनोलाजी के पूर्व राष्ट्रीय समन्वयक डा. अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के वैक्सीन ग्रुप पर हुई चर्चा के मुताबिक जनवरी में बच्चों का टीकाकरण शुरू हो सकता है
एक दिन में लग सकेंगे 70 लाख टीके
डा. अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ अकादमी के करीब 34 हजार केंद्र हैं। करीब इतने ही केंद्र स्वास्थ्य विभाग के हैं। स्वास्थ्य विभाग और सभी बाल रोग विशेषज्ञ भी सेंटर खोलें तो देश में करीब 70 हजार टीकाकरण केंद्र खुल जाएंगे। यदि एक केंद्र पर सौ बच्चों का टीकाकरण प्रतिदिन होगा तो 70 लाख बच्चों को टीकाकरण एक ही दिन में
बच्चो की नौ करोड़ सिंगल डोज तैयार
भारत बायोटेक की को-वैक्सीन की करीब नौ करोड़ सिंगल डोज तैयार रखी हैं। इसके अतिरिक्त दस डोज की वायल का स्टाक भी काफी है। अब इस वायल की एक्सपायरी डेट छह माह की जगह एक साल हो गई है, जबकि कंपनी ने दो साल एक्सपायरी की अनुमति मांगी थी।
बच्चों का वैक्सीनेशन इसलिए होता है मुश्किल
दो साल से छह साल के बच्चों को टीका बांह में नहीं लगाया जाता है, उनको टीका जांघ में लगाया जाता है। इसका प्रशिक्षण केवल बाल रोग विशेषज्ञों या फिर कुछ विशेष नर्सों को इस बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है। यही वजह है कि अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बच्चों को टीका लगाना मुश्किल होता है
जानें ये है एंटीजेनिक शिफ्ट
किसी बीमारी के दो स्ट्रेन मिलकर तीसरा घातक स्ट्रेन बना देते हैं, उस स्ट्रेन को एंटीजेनिक शिफ्ट कहते हैं। इन दिनों में कोरोना वायरस के डेल्टा और ओमिक्रोन दो वैरिएंट इस समय एक साथ संक्रमण फैला रहे हैं।