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जीवीके के कर्मचारियों पर दंगा फसाद की धाराओं में दर्ज मुकदमे की चार्जशीट के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून की अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। मामले में सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया
सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
नैनीताल। हाई कोर्ट ने 108 एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके के कर्मचारियों पर दंगा फसाद की धाराओं में दर्ज मुकदमे की चार्जशीट के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून की अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। मामले में सरकार को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया।
28 मई 2019 को जीवीके के करीब 600 कर्मचारियों ने आपातकालीन सेवा दूसरी कंपनी को देने के विरोध में सचिवालय कूच किया था। असल में नई कंपनी ने पुराने कर्मचारियों को हटाकर नई नियुक्ति कर ली थी। इस विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना सहित तत्कालीन भाजपा नेता रवींद्र जुगरान भी शामिल रहे। हालांकि जब कानूनी कार्रवाई की बात आई तो स्थानीय पुलिस ने 11 कर्मचारियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया। सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत से समन भी जारी हुआ। इस पर आरोपित आशना गुसाईं समेत 11 कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में अपील कर दी।
मंगलवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्र की एकलपीठ ने सरकार से जवाब तलब करते हुए निचली अदालत की सभी कार्यवाही को स्थगित कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी।