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RGA News एजेंसी,जम्मू
जम्मू कश्मीर में सियासी उठापटक के बीच नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से पीडीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। वहीं पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी भाजपा और अन्य दलों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके कुछ घंटों बाद ही राज्यपाल ने बुधवार को विधानसभा भंग कर दी।
विधानसभा भंग करने का आदेश देने के बाद राज्यपाल ने अपने बयान में कहा कि भिन्न राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के जरिए स्थाई सरकार नहीं बनाई जा सकती। उन्होंने कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए विधानसभा को भंग किया गया है।
मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं। उन्होंने लिखा कि आपको मीडिया की खबरों में पता चला होगा कि कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है।
87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। उधर, विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी भाजपा के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा बुधवार को पेश किया था। लोन के अलावा उनकी पार्टी का एक और विधायक है।
लोन ने राज्यपाल को एक संदेश भेज कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ों से अधिक विधायकों का समर्थन है। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में भगवा पार्टी द्वारा समर्थन वापस लिये जाने के बाद पीडीपी-भाजपा गठबंधन टूट गया था जिसके बाद 19 जून को राज्य में छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लगा दिया गया था। राज्य विधानसभा को भी निलंबित रखा गया था ताकि राजनीतिक पार्टियां नई सरकार गठन के लिए संभावनाएं तलाश सकें।
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन 18 दिसम्बर को समाप्त होना था और इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगना था। राज्य विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक था।