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RGA न्यूज़
अब दालें भी महंगाई की राह पर चल पड़ी हैं। एक माह के अंदर ही दालों के कीमतें 50 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई हैं। गरीब की रसोई से दाल अब गायब हो गई है।
अब दालें भी महंगाई की राह पर चल पड़ी हैं।
हाथरस, अब दालें भी महंगाई की राह पर चल पड़ी हैं। एक माह के अंदर ही दालों के कीमतें 50 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई हैं। गरीब की रसोई से दाल अब गायब हो गई है। जमाखोरी पर लगाम नहीं लगाए जाने से ही लोगों को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।
महंगाई नहीं छोड़ रही पीछा
महंगाई अभी भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ रही है। अभी तक खाद्य तेलाें की कीमतें कम नहीं हुई हैं। अभी भी बाजार में सरसों का तेल 170 से 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। मंडी में सरसों की नई फसल आने के बाद भी तेलों की कीमतें चढ़ी हुई हैं। अब दालों की कीमतों उछाल आ गया है। सभी दालों की कीमतें आसमान छू रही हैं। दालों की कीमतें बढ़ने से ही गरीबों की रसोई से दाल दूर होती जा रही है। अब महीनें एक दो बार ही दाल का प्रयोग इनकें यहां हो रहा है।
60 से 90 रुपये पर पहुंची दाल
दालों को लोगों द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाता है। डाइटीशियनों की मानें तो दाल में अन्य सब्जियों मुकाबले सबसे अधिक पोषक तत्व होते हैं। इसीलिए इन्हें सबसे अधिक पसंद किया जाता है। एक माह पहले 60 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाली मसूर की दाल अब 90 से 100 रुपये में बिक रही है। अरहर की दाल तो 120 से ऊपर पहुंच गई हैं। उर्द, मूंग की दाल भी महंगी बिक रही हैं।
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जमाखोरी से बढ़ रही महंगाई
पहले टमाटर व प्याज की कीमतें आंसू निकाल रही थीं। नई फसल आने से यह बीस रुपये किलोग्राम बिक रहे हैं। अब दालों की कीमतें आसमान छू रही हैं। फुटकर विक्रेता बसंतलाल बताते हैं कि बड़े व्यापारियों द्वारा की जा रही जमाखोरी के चलते ही दालों की कीमतें बढ़ रही हैं। सबसे अधिक मुनाफा बड़े व्यापारी ही ले जाते हैं। हम फिर भी उचित दाम पर ही दाल ग्राहकों को बेच रहे हैं।