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rga news ब्यूरो चीफ सुनील यादव लखनऊ
अन्य पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में 30 संस्तुतियां की हैं। कहा है कि क्रीमीलेयर से आच्छादित अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण अनुमन्य नहीं है। सभी को बराबरी का अवसर देने के लिए संवैधानिक पदों पर तैनात या तैनात रह चुके अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के बेटे-बेटियों को समिति ने क्रीमीलेयर में रखने की संस्तुति की है।
उ.प्र. लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनयम 1994 की अनुसूची-दो में क्रीमीलेयर की व्यवस्था है। सूत्र बताते हैं कि समिति ने इस संस्तुति को लागू करने के लिए आरक्षण अधिनियम 1994 के संगत प्राविधानों और अनुसूची में संशोधन का सुझाव दिया है। यह भी संस्तुति की गई है कि आरक्षण व्यवस्था का प्रत्येक पांच साल में मूल्यांकन और परीक्षण किया जाए। समिति की इस सिफारिश को सरकार मानती है तो राष्ट्रपति लेकर सांसद, विधायक तक के बेटे-बेटियां इसकी जद में होंगे। इनके अलावा यूपीएससी, निर्वाचन आयोग आदि के चेयरमैन व आयुक्त भी संवैधानिक पद पर हैं। यहां बता दें कि आईएएस, आईपीएस और आर्थिक रूप से धनाढ्य वर्ग को क्रीमीलेयर माना जाता है।
समिति का मानना, पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियां अब संपन्न
सूत्र बताते हैं कि समिति ने अपनी रिपोर्ट को तैयार करने में आरक्षण व्यवस्था में शामिल सभी जातियों की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक आदि स्थितियों का अध्ययन किया है। स्पष्ट किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल अहीर, कुर्मी, लोध, काछी, गुर्जर, जाट, मुराव और तेली जैसी जातियां राजनीतिक रूप से सबल हैं। इन जातियों के लोगों ने प्रदेश की पिछली दो सरकारों में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व किया है। ये जातियां सम्मानित और आर्थिक रूप से संपन्न भी हैं। वर्ण व्यवस्था में भी इनको महत्व दिया गया है। ये वह जातियां हैं, जिन्हें अपनी जाति बताने में कोई दिक्कत नहीं होती है। ये जातियां पेशेवर कारोबारी हैं। खास यह कि इनका व्यवसाय आज भी प्रासंगिक है। इनके पेशे को समाज में सम्मान के नजरिए से देखा जाता है
इन जातियों के लोग पिछले दो दशक में आर्थिक रूप से काफी मजबूत हुए हैं। समाज में धनाढ्य वर्ग के रूप में इनकी पहचान बन गई है। इसके आधार पर समिति ने इन जातियों को पिछड़ा वर्ग माना है और इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 फीसदी आरक्षण में सात फीसदी देने की बात की है।