एडीए शांति निकेतन योजना में ले आउट बनाने वालों ने तो नहीं की गड़बड़ी, जानिए विस्‍तार से

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RGA न्यूज़

शांति निकेतन योजना में निजी किसान की एडीए द्वारा नीलामी करने के मामले में कई अहम बातें सामने आ रही हैं। अब तक जांच में सामने आाया है कि कालोनी के ले आउट बनाने के दौरान ही यह गड़बड़ी हुई है

शांति निकेतन योजना में निजी किसान की एडीए द्वारा नीलामी के दौरान ही गड़बड़ी हुई है।

अलीगढ़। शांति निकेतन योजना में निजी किसान की एडीए द्वारा नीलामी करने के मामले में कई अहम बातें सामने आ रही हैं। अब तक जांच में सामने आाया है कि कालोनी के ले आउट बनाने के दौरान ही यह गड़बड़ी हुई है। ऐसे में अफसर इस पूरे प्रकरण की गहराई तक जांच करा रहे हैं। इससे कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।

यह है योजना

विकास प्राधिकरण ने 1995 में शांति निकेतन योजना के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। इसमें अजीम बख्श की भी गाटा संख्या 2595 में एक बीघा दो बिस्वा जमीन का अधिग्रहण किय है। विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी की रिपोर्ट पर इसका अधिग्रहण हुआ। अजीम बख्श ने उस दौरान एक बिस्वा (120 वर्ग मीटर) जमीन अपने निजी प्रयोग के लिए रख ली। ऐसे में प्राधिकरण ने अपने अधिग्रहण में शामिल नहीं किया। ऐसे में तब से अब तक यह जमीन ऐसे ही खाली पड़ी हुई थी।

कर दिया आवंटन

अब पिछले दिनों प्राधिकरण ने शहर की विभिन्न योजनाओं में खाली पड़े प्लाट व फ्लैट की बिक्री की है। इसमें शाति निकेतन योजना में भी कुछ प्लाट बेचे गए। इसमें अजीम बख्श की निजी 120 वर्ग मीटर जमीन को भी शाहजमाल जंगलगढ़ी निवासी कुछ लोगों को बेच दिया। अब पिछले दिनों इन आवंटियों ने जमीन पर कब्जा लेना शुरू किया तो अजीम बख्श के पुत्र मो. को इसकी जानकारी हुई कि प्राधिकरण ने उनकी निजी जमीन की भी बिक्री कर दी है

डीएम व उपाध्यक्ष से शिकायत

 मो. सलीम इस मामले को लेकर तत्काल डीएम व उपाध्यक्ष के पास पहुंचे। दोनों अफसरों ने जांच के आदेश दिए। ओएसडी अंजुम बी को जांच की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने क्षेत्रीय लेखपाल से इसकी रिपोर्ट मांगी। इसमें पूरे मामले का पर्दाफाश हो गया। सामने अाया कि गलत तरीके से एडीए से इसका आवंटन हुअा है।

ले आउट में ही हुई गड़बड़ी

 भले ही जांच में इसकी पुष्टि हो गई है कि जमीन किसान की निजी थी। ऐसे में अब प्राधिकरण इसे वापस भी कर देगा, लेकिन यह लापरवाही किस स्तर पर हुई है। इसकी जांच कराई जा रही है। अब तक की जांच में सामने आया है कि ले आउट बनाने के दौरान ही यह गड़बड़ी हुई है। 1990 में ले आउट बनाया गया था। ऐसे में अब जांच कराई जा रही है कि उस दौरान यह ले आउट किसने तैयार किया था। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।

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