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RGAन्यूज़
कोरोना संक्रमण काल में मंदी की मार झेल रही खाद्य प्रसंस्करण की छोटी इकाइयों को संजीवनी देने की कवायदपूरी हो गई है और अब नए साल में लखनऊ समेत प्रदेश की ऐसी 370 यूनिटों को राहत देकर उन्हें बड़ा फायदा दिया जाएगा।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की ओर से निश्शुल्क प्रशिक्षण के साथ आर्थिक मदत दिलाने का खाका तैयार है।
लखनऊ। कोरोना संक्रमण काल में मंदी की मार झेल रही खाद्य प्रसंस्करण की छोटी इकाइयों को संजीवनी देने की कवायदपूरी हो गई है और अब नए साल में लखनऊ समेत प्रदेश की ऐसी 370 यूनिटों को राहत देकर उन्हें बड़ा फायदा दिया जाएगा। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की ओर से निश्शुल्क प्रशिक्षण के साथ ही अब उन्हें आर्थिक मदत दिलाने का खाका तैयार हो चुका है
आम, अमरूद, लीची व आंवला के बागवानों द्वारा संचालित इकाइयों को प्राथमिकता दी जाएगी। इनके संचालन 25,750 युवाओं को सीधे और 33,210 श्रमिकों को इनके माध्यम से रोजगार मिलेगा। राजधानी के मलिहाबाद समेत प्रदेश के सभी 13 जिलों के फलपट्टी में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाया जाएगा। बाराबंकी, अयोध्या, मेरठ, उन्नाव, बुलंदशहर, अमरोहा,सीतापुर,सहारनपुर, बागपत, प्रतापगढ़, वारासणी व हरदोई के बगवानों को राहम मिलेगी। इसके अलावा राइस मिल, फ्लोर मिल, दलहन प्रसंस्करण, तिलहन व सब्जी प्रसंस्करण की नई यूनिटों का भी खाका तैयार किया गया
आनलाइन मिला प्रशिक्षणः यूनिट लगाने या आगे बढ़ाने के लिए आवेदन करने वाले बागवानों को ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का कार्य पूरा हो गया है। ऐसे प्रवासी बेरोजगार जो यूनिट लगाना चाहते हैं वे अपने जिले के जिला उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी से मिलकर प्रस्ताव भेज सकते हैं। आम या अन्य फलों के जूस के साथ ही जैम, जैली, अंचार व मुरब्बा के साथ ही टॉफी व चॉकलेट बनाने का 15710 युवाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य पूरा हो गया है। सूबे के 13 जिलों में 2.66 लाख हेक्टेयर आम के बाग हैं और 43.52 मीट्रिक टन उत्पादन हर साल होता
बागवानों को फायदा देने और सरकार की मंशा के अनुरूप रोजगार देने के उद्देश्य को लेकर नई यूनिट लगाने के साथ ही छोटी इकाइयों को आगे बढ़ाया जा रहा है। जून से चल रही प्रक्रिया अब पूरी हो गई है। प्रोसेङ्क्षसग के साथ ही बागवानी, मधुमक्खी पालन से भी जोड़ा जा रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से बजट भी जारी कर दिया गया है। नए साल में इसमे और गति लाई जाएगी। जिला उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी से संपर्क करके जानकारी ली जा सकती है।