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चंडीगढ़ से विदेशी स्कॉच व्हिस्की कारों में लादकर जालंधर पहुंचाई जा रही है।
जालंधर । मोटा मुनाफा कमाने की कवायद में चंडीगढ़ से तस्करी कर जालंधर लाई जा रही स्कॉच लाइसेंसी ठेकेदारों की तौबा करवा रही है। शराब तस्करों को स्कॉच की प्रति पेटी छह से आठ हजार तक का मुनाफा हो रहा है और तस्कर चंडीगढ़ से कारों में शराब की बोतलें भरकर जालंधर तक पहुंचा रहे हैं। सस्ती होने की वजह से नियमित शराब पीने के आदी इन्हीं तस्करों से शराब खरीद रहे हैं। खास यह है कि नियमित ग्राहकों को तो तस्कर होम डिलीवरी तक भी दे रहे हैं। बड़े स्तर पर हो रही शराब की तस्करी लाइसेंसी ठेकेदारों की ठेकों से होने वाली शराब की बिक्री को कम कर रही है। हैरानीजनक यह भी है कि शहर के ही कुछ बार चंडीगढ़ से तस्करी कर लाई गई स्कॉच ग्राहकों को परोस रहे हैं। बार में तस्करी कर लाई गई शराब को परोसे जाने से भी लाइसेंसी शराब ठेकेदारों को तगड़ा झटका झेलना पड़ रहा है। वजह यह है कि बार में भी शराब की खासी खपत होती है और नियमानुसार स्थानीय ठेकेदारों को ही यह बिक्री मिलती है।
अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर शहर के शराब ठेकेदार तर्क दे रहे हैं कि मात्र लाइसेंसी ठेकेदारों को ही स्कॉच की तस्करी नुकसान नहीं पहुंचा रही है, बल्कि राज्य के राजस्व को भी चपत लग रही है। जो शराब ठेकों से बिकती है, उसकी ड्यूटी पेड होती है और राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है। शराब ठेकेदारों का दावा है कि एक्साइज विभाग को शराब की तस्करी के बारे में सूचना है। यही वजह है कि नववर्ष की पूर्व संध्या पर शहर के ही एक नामी बार से चंडीगढ़ से तस्करी कर लाई गई स्कॉच पकड़ी गई है।
शराब ठेकेदारों का दावा यह भी है कि चंडीगढ़ में जिस शराब को तस्करी कर जालंधर तक लाया जा रहा है। वह अवैध तरीके से ही बनाई जाती है और इसके पीने से कभी भी बीते वर्ष तरनतारन इलाके में हुई शराब त्रासदी की पुनरावृति भी हो सकती है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। इस बारे में एक्साइज विभाग के अधिकारी हरजोत सिंह ने रविवार को भी कहा था कि विभाग की तरफ से तस्करों पर लगातार नकेल कसी जा रही है। यही वजह है कि बरामदगी हो रही है। पैडलर्स पर पहले भी चेकिंग करवाई गई थी, लेकिन तब तस्करी कर लाई गई शराब खुफिया अलमारियों में रखी होने की वजह से चुनाव पकड़ में नहीं आ सकी थी।