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RGAन्यूज़
जिले की ऐसी कोई विधानसभा सीट नहीं जिस पर कांग्रेस के पंजे की छाप न रही हो। मिनी छपरौली कही जाने वाली खैर व इगलास जैसी सीटों पर कांग्रेस का खूब दबदबा रहा। अन्य सीटों पर कांग्रेस बार-बार जीतीं।
मिनी छपरौली कही जाने वाली खैर व इगलास जैसी सीटों पर कांग्रेस का खूब दबदबा रहा
अलीगढ़, । जिले की ऐसी कोई विधानसभा सीट नहीं, जिस पर कांग्रेस के पंजे की छाप न रही हो। मिनी छपरौली कही जाने वाली खैर व इगलास जैसी सीटों पर कांग्रेस का खूब दबदबा रहा। अन्य सीटों पर कांग्रेस बार-बार जीतीं। बार-बार विजय की गाथा लिखी। हां, पांच चुनाव ऐसे भी रहे, जिनमें खाता भी नहीं खुल पाया। कुल 17 चुनाव अब तक हुए हैं। सियासी दलों की आंधी और लहर में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस ने ही झेला है। पार्टी के दिग्गज नेता भी हारे। लेकिन, विफलता का स्वाद चखने के बाद पार्टी के जनाधार ने बार-बार करवट ली। कांग्रेस प्रत्याशी दूसरी पार्टी के दिग्गजों को हराकर सदन में पहुंचते रहे। हार की हैट्रिक के बार कांग्रेस फिर जोश-जज्बे से लबरेज है
इन चुनावों में नहीं खुला कांग्रेस का खाता
वर्ष 1977ः इस चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस कोई सीट नहीं जीतने दी। विधानसभा क्षेत्र गंगीरी में कांग्रेस प्रत्याशी अनीसुर्रहमान शेरवानी को जनता पार्टी के बाबू सिंह, अतरौली में अमर सिंह को कल्याण सिंह, शहर में ख्वाजा हलीम को मोजिज अली बेग, कोल में पूरन चंद को किशनलाल दिलेर, इगलास में मुख्तयार सिंह को राजेंद्र सिंह, बरौली में सुरेंद्र सिंह को संग्राम सिंह, खैर में शिवराज सिंह को प्यारेलाल ने करारी शिकस्त
वर्ष 1991ः रामलहर में भाजपा ने कांग्रेस ही नहीं अन्य दलों को भी धूल चटा दी। गंगीरी में राम सिंह (भाजपा) ने जीत हासिल की। पदम सिंह (कांग्रेस) सातवें स्थान (कुल 1884 मत) पर रहे। अतरौली में राममंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह (भाजपा) को कांग्रेस के अनवार खां ने टक्कर तो दी, लेकिन हार गए। अलीगढ़, कोल, इगलास, बरौली व शैर में कांग्रेस प्रत्याशियों (भानू प्रताप, गंगा प्रसाद, रामवीर सिंह, सुरेंद्र सिंह चौहान, उषा रानी) को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। इन सीटों पर कृष्ण कुमार नवमान (भाजपा), किशनलाल दिलेर (भाजपा), ज्ञानवती (जनता दल), दलवीर सिंह (जनता दल), चौ. महेंद्र सिंह (भाजपा) ने जीत हासिल की।
वर्ष 2007ः गंगीरी में शकील अहमद खान नौंवे स्थान (953 मत), अतरौली में अश्वनी शर्मा व खैर में चौ. धर्मवीर सिंह बैना को पांचवें, अलीगढ़ में विवेक बंसल, इगलास में राकेश चौधरी, बरौली में दिनेश शर्मा को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। गंगीरी में राम सिंह (भाजपा), अतरौली में प्रेमलता देवी (भाजपा), अलीगढ़ में जमीरउल्ला (सपा), कोल में महेंद्र सिंह (बसपा), इगलास में बिमलेश सिंह (रालोद), बरौली में ठा. जयवीर सिंह (बसपा) व खैर में सत्यपाल सिंह (रालोद) ने जीत हासिल की।
वर्ष 2012ः इस चुनाव में कांग्रेस को वापसी के लिए रालोद जैसी क्षेत्रीय पार्टी से गठबंधन करना पड़ा। जिसका कोई फायदा नहीं मिला। चार सीटें हिस्से में आईं। अतरौली में बिजेंद्र सिंह, छर्रा में परवेज अहमद व अलीगढ़ में योगेश कुमार शर्मा को चौथा स्थान पर संतोष करना पड़ा। हां, कोल सीट पर रोचक मुकाबला हुआ। विवेक बंसल सपा के पूर्व विधायक जमीरउल्ला से मात्र 599 मतों से हारे। जबकि, सहयोगी दल रालोद ने अपनी खैर व इगलास सीट पर दोबारा कब्जा
वर्ष 2017ः इस चुनाव में कांग्रेस ने सपा से हाथ मिलाया। तीन सीटें हिस्से में आईं। बरौली में केशव सिंह तीसरे व इगलास में गुरविंदर सिंह चौथे स्थान पर रह गए। कोल सीट पर गठबंधन नहीं था। विवेक बंसल को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। जबकि, सपा से अज्जू इशहाक दूसरे स्थान पर रहे। सातों सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीते।
कब-कब कांग्रेस ने जीतीं सीट
1951 में 06, 1957 में 05, 1962 में 01, 1967 में 02, 1969 में 01, 1974 में 03, 1980 में 04, 1985 में 03, 1989 में 03, 1993 में 01, 1996 में 01, 2002 में 02
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जनता ने भाजपा, सपा और बसपा सरकारें देख लीं हैं। महंगाई, बेरोजगार, बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जनता आहत है। इस बार कांग्रेस जबरदस्त वापसी करेगी