अब नहीं रहेगी वैक्सीन-इंसुलिन को सुरक्षित रखने की चिंता, कानपुर के विशेषज्ञ ने तैयार की खास डिवाइस

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RGAन्यूज़

कानपुर के पीएसआइटी के फार्मेसी विभाग के डीन व प्रोफेसरों ने उपकरण तैयार किया है। अब वैक्सीन और इंसुलिन के लिए आइस बाक्स की जरूरत नहीं होगी । पोर्टेबल वैक्सीन स्टोरेज डिवाइस से होगी कोल्ड चेन मेंटेन होगी।

डिवाइस में सुरक्षित रहेंगे वैक्सीन के 70 वायल।

कानपुर, । वैक्सीन और इंसुलिन को सुरक्षित रखने के लिए अब थर्माकोल के बाक्स और उसमें बर्फ की जरूरत नहीं होगी। भौंती स्थित प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी के फार्मेसी विभाग की टीम ने बैट्री से संचालित पोर्टेबल वैक्सीन स्टोरेज डिवाइस तैयार की है, जो वैक्सीन के लिए जरूरी कोल्ड चेन वातावरण को खुद नियंत्रित करेगी। बाक्सनुमा इस डिवाइस में 70 वायल वैक्सीन सुरक्षित रखी जा सकेगी। विभाग की ओर से बीते दिनों इसे पेटेंट कराया गया है।

आइसबाक्स में रहता बर्फ पिघलने का खतरा

किसी भी वैक्सीन या इंसुलिन को सुरक्षित रखने के लिए दो से आठ डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इससे ज्यादा तापमान होने पर वैक्सीन खराब होने लगती है। इन वैक्सीन को फ्रीजर में सुरक्षित किया जाता है और किसी अस्पताल या सीएचसी-पीएचसी पहुंचाने के लिए आइस बाक्स की जरूरत होती है। थर्माकोल के बने बाक्स में वैक्सीन के चारों ओर बर्फ लगाई जाती है, ताकि जरूरी तापमान बना रहे। अगर किसी कारणवश बर्फ पिघल जाती है तो वैक्सीन के खराब होने की आशंका रहती है

बैट्री से संचालित है पोर्टेबल डिवाइस

वैक्सीन की इसी कोल्ड चेन को मेंटेन करने के लिए प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट के फार्मेसी विभाग के डीन प्रो. प्रणय वाल, डायरेक्टर डा. अवनी कुमार पाल, विभागाध्यक्ष डा. अंकिता वाल, गोरखपुर की असिस्टेंट प्रोफेसर हिमांगी विज, एलपीयू जालंधर की एसोसिएट प्रोफेसर रश्मि सक्सेना पाल, छात्र आशुतोष पांडेय की टीम ने पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस तैयार की है। यह डिवाइस बैट्री से चलेगी और उसमें बर्फ की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रो. प्रणय वाल ने बताया कि यह डिवाइस महज ढाई से तीन हजार रुपये में तैयार होगी। इसका पेटेंट कराया गया है। जल्द ही अस्पतालों में इसका इस्तेमाल शुरू होगा

र ऊर्जा से बैट्री चार्जिंग का सिस्टम

संस्थान के मुताबिक वर्तमान में जो डिवाइस बनाई गई है, उसमें लीथियम आयन बैट्री का इस्तेमाल किया गया है। एक बार बैट्री चार्ज करने पर तीन दिन तक बाक्स का तापमान नियंत्रित रहेगा। इसके बाद बैट्री को दोबारा चार्ज करना होगा। बार-बार बैट्री चार्ज न करनी पड़े, इसके लिए सौर ऊर्जा तकनीक का इस्तेमाल शुरू करने की तैयारी है

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