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RGAन्यूज़
हैदराबाद स्थित भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी भारत बायोटेक प्रा.लि. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के संयुक्त प्रयास से बनकर तैयार भारतीय वैक्सीन कोवैक्सिन के तीसरे और निर्णायक चरण के ट्रायल देशभर में चल र
कोवैक्सीन का ट्रायल डोज लेते हुए लोग।
। भारत में तैयार स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के तीसरे और निर्णायक चरण का ट्रायल इन दिनों चल रहा है। दस राज्यों में चुनिंदा 25 अस्पतालों में इसके लिए ट्रायल सेंटर्स बनाए गए हैं। कुल 28,500 लोगों को टीके के दो डोज देकर परीक्षण किया जाना है। सरकार ने लोगों से योगदान की अपील की है। पटना एम्स में भी ऐसा सेंटर सक्रिय है, जहां लोग धीरे-धीरे ही सही पर आगे आ रहे हैं। इनके जज्बे की बानगी देती पटना से विशेष रिपो
हैदराबाद स्थित भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी भारत बायोटेक प्रा.लि., इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के संयुक्त प्रयास से बनकर तैयार भारतीय वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के तीसरे और निर्णायक चरण के ट्रायल देशभर में चल रहे हैं। 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर इसका नैदानिक परीक्षण किया जाना है। इस ट्रायल के परिणाम के आधार पर ही वैक्सीन को देश में आपात उपयोग की अनुमति मिल सकेगी। सरकार ने देशवासियों से इसमें योगदान करने की अपील की है, ताकि जल्द से जल्द यह कार्य संपन्न हो सके। पंजीकरण कराने के लिए वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.सीटीआरआइ.एनआइसी.इन पर या ट्रायल सेंट्रर पर संपर्क किया जा सकता है।
पटना एम्स में भी ऐसा एक ट्रायल सेंट्रल स्थापित किया गया है, जहां तीसरे चरण का परीक्षण शुरू हो चुका है। यहां पर भी कम से कम एक हजार लोगों को टीके के दो डोज (28 दिन के अंतर पर) देकर नैदानिक परीक्षण किया जाना है। हालांकि, प्रक्रिया शुरू होने के आठ दिन बीत जाने के बाद भी सौ से कम लोग ही इसके लिए तैयार हो पाए हैं, जबकि शासन-प्रशासन की ओर से लोगों से लगातार अपील की जा रही है। ऐसे में वे लोग, जो दूसरे चरण ही नहीं, तीसरे चरण में भी योगदान देकर उसे सफल बनाने में सहायक बने, वह अन्य के लिए प्रेरणा का काम कर रहे हैं। हमने इन्हीं में से कुछ से बात की और उनके इस जज्बे को समझने का जतन किया। हालांकि, इनका परिचय सार्वजनिक नहीं किया जाना है, लिहाजा हम इनका वास्तविक नाम, पता या तस्वीर नहीं दे रहे हैं।