जीएसटी अफसरों की मनमानी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की फटकार, लगाया 15 हजार रुपये हर्जाना

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RGAन्यूज़

हाई कोर्ट ने पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज देने के बावजूद बिजली बिल की मांग को अवैध करार देते हुए पंजीकरण अर्जी निरस्त करने के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने जीएसटी विभाग को एक हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश 

कंसल्टेंसी पंजीकरण के लिए बिजली बिल मांगना मनमानापन, 15 हजार रुपये का लगा हर्जाना

प्रयागराज, । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोजगार मुहैया कराने वाली कंसल्टेंसी फर्म के पंजीकरण के लिए अनावश्यक परेशान करने वाले जीएसटी विभाग पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। हर्जाना 20 दिन में विधिक सेवा समिति में जमा करके रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। हर्जाना राशि अधिकारियों से वसूल करने की भी छूट दी है। कहा कि अधिकारियों द्वारा व्यवसायी को परेशान करने को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। अधिकारियों के मनमाने रवैए की अनदेखी नहीं की जा सकती। इन्हें कानून सम्मत निष्पक्ष कार्य करना चाहिए।

जीएसटी विभाग को एक हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश

हाई कोर्ट ने पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज देने के बावजूद बिजली बिल की मांग को अवैध करार देते हुए पंजीकरण अर्जी निरस्त करने के आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने जीएसटी विभाग को एक हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने रंजना सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता आलोक कुमार का कहना था कि याची ने कंसल्टेंसी के जरिए रोजगार मुहैया कराने के व्यवसाय के लिए पंजीकरण अर्जी दी। इस पर अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण भी

याची को कारण बताओ नोटिस जारी कर बिजली बिल या गृहकर रसीद देने को कहा। याची ने बताया कि वह व्यवसाय स्थल का मालिक है। पैन कार्ड, आधार कार्ड, नगर निगम प्रयागराज की संपत्ति कर रसीद भी दी जोकि कानून के तहत व्यवसाय के मुख्य स्थान के साक्ष्य हैं। कब्जा साबित करने के लिए लेटेस्ट बिजली बिल की मांग की गई और अर्जी मनमाने तरीके से रद कर दी गई। आदेश के खिलाफ अपील भी खारिज हो गई तो याचिका के जरिए कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

 

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