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पंजाब विधानसभा चुनाव में हालांकि किसी भी राजनीतिक दल ने किसी महिला को सीएम फेस के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया है लेकिन पार्टियों का फोकस पूरी तरह से महिला वोटरों पर है। उनके लिए कई घोषणाएं की गई हैं। पढ़ें विशेष रि
पंजाब में आधी आबादी को लुभाने में जुटे ने
दिनेश भारद्वाज, जालंधर। पंजाब का पांरपरिक त्योहार लोहड़ी। किसी घर में बेटे के जन्म या बेटे की शादी के बाद पहली लोहड़ी की रौनक अलग ही होती है, लेकिन समय के साथ परंपराओं में बदलाव भी आया है। अब पंजाब में बेटियों की लोहड़ी डालने का प्रचलन भी बढ़ गया है। राज्य में लिंगानुपात की स्थिति में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर हुए काम के अच्छे परिणाम भी सामने आए, लेकिन अभी इसमें और सुधार की गुंजाइश है
इस बार चुनावी रंग में रंगे पंजाब की लोहड़ी खास है, बेटियों की सुधरती कुंडली और महिला मतदाताओं की चुनाव में बढ़ती भागीदारी ने नेताओं की आसमां छूने की ख्वाहिश को नया आयाम दिया है। क्योंकि वह सब जानते हैं कि सत्ता की बारात जब चलेगी तो 'पुत्त' (बेटा) ही घोड़ी चढ़ेगा। इसका कारण भी साफ है, क्योंकि चुनाव में कोई भी पार्टी किसी महिला को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर मैदान में नहीं उतर रही। इसलिए नेता आधी आबादी पर फोकस करते हुए बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं। वह महिलाओं की ताकत जानते हैैं, यह भी कि उनके आशीर्वाद के बिना सत्ता संग्राम नहीं जीता जा सकता। आधी आबादी कहीं न कहीं यह भी तय करेगी कि इस संग्राम में 'कौण चढ़ूगा सत्ता दी घोड़ी'। बेटियों की सुधरी कुंडली, महिलाओं की चुनाव में भागीदारी और उन्हें साधने के लिए नेताओं की घोषणाओं पर हमारी विशेष रिपोर्ट...।