मकर संक्रांति पर एक दिन स्नान और दूसरे दिन दान, जानें- क्या है खिचड़ी का महत्व और पौराणिक कथा

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RGAन्यूज़

कानपुर में मकर संक्रांति पर्व पर स्नान का सिलसिला तो घाटों पर शुरू हो गया है लेकिन कुछ श्रद्धालु खिचड़ी दान और सेवन दूसरे दिन सूर्योदय के बाद पुण्य कार्य करेंगे। भगवान को खिचड़ी अर्पित कर भोग लगाया जाता

मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान का खास महत्व।

कानपुर, । हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव माना जाता है। जो प्रतिदिन साक्षात दर्शन देकर सारे जगत में ऊर्जा का संचार करते हैं। भारतीय ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि सूर्य अपनी नियमित गति से राशि परिवर्तन करता है। सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। इस तरह साल में 12 संक्रांति तिथियां पड़ती हैं जिनमें से मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। मकर संक्रांति का दिन बहुत शुभ और विशेष माना जाता है। वैसे तो मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाने की परंपरा है लेकिन बीते कुछ वर्षों से सूर्य के उत्तरायण में जाने के समय बदलाव के चलते पर्व दो दिन मनाया जाने लगा है। इस बार भी कुछ ऐसा रहा है, कुछ लोगों ने शुक्रवार को पर्व मानकर स्नान किया है तो ज्यादातर श्रद्धालु शनिवार को खिचड़ी दान करने का दिन मान रहे हैं। सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 8:49 बजे हो जाएगा लेकिन सभी विधान 15 जनवरी को पूरे किए जाएंगे। धार्मिक मान्यता है कि सभी शुभ कार्य सूर्योदय तिथि से पुण्य कार्य किए जाते हैं, वहीं सूर्य की मकर राशि में संक्रांति का समय शनिवार की दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा। ज्योतिषों के मुताबिक इस बार मकर संक्रांति का पावन पर्व 14 और 15 जनवरी को मनाया जा रहा है।

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