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RGAन्यूज़
रविदास जयंती पर बनारस में वृहद आयोजन होता है जो दस से 16 फरवरी तक चलता है। राज्य के अनुसूचित जाति समुदाय के लोग बड़ी तादाद में इसमें शिरकत करते हैं। इस कारण चुनाव को कम से कम छह दिन के लिए टाला
रविदास जयंती पर बनारस में वृहद आयोजन होता है जो दस से 16 फरवरी तक चलता है।
वाराणसी पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने रविदास जयंती पर्व पर पंजाब में 14 फरवरी को होने विधानसभा चुनाव को टालने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिख कर अनुरोध किया है। उन्होंने लिखा है कि 16 फरवरी को गुरु रविदास जयंती है। जयंती पर बनारस में वृहद आयोजन होता है जो दस से 16 फरवरी तक चलता है। राज्य के अनुसूचित जाति समुदाय के लोग बड़ी तादाद में इसमें शिरकत करते हैं। इस कारण चुनाव को कम से कम छह दिन के लिए टाला जाए
इस बाबत 13 जनवरी को चुनाव आयोग को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ओर से कहा गया है कि फरवरी माह की 16 की तिथि के मौके पर संत रविदास जयंती का पर्व वाराणसी के सीर गोवर्धन में मनाया जाएगा। उस आयोजन में शामिल होने के लिए लाखों पंजाब से रैदासिया समुदाय के लोग काशी में होंगे। इस वजह से पंजाब के चुनाव में उस समुदाय के लाखों लोग वोट देने के लिए पंजाब में मौजूद नहीं होंगे। इस लिहाज से 14 फरवरी को होने वाला चुनाव सप्ताह भर के लिए टाल दिया जाए ताकि रैदासिया समुदाय के लोग सीर गोवर्धन से गुरु की वंदना कर वापस पंजाब आकर मतदान में भाग ले सकें।
इस बाबत उन्होंने पंजाब में 32 फीसद तक इस समुदाय से जुड़े लोगों के होने की जानकारी भी पत्र में साझा की है। पत्र में उन्होंने जिक्र किया है कि लगभग 20 लाख श्रद्धालु वाराणसी के सीर गोवर्धन में संत रविदास को नमन करने के लिए 10 से 16 फरवरी तक मौजूद रहेंगे। बताया कि इस वजह से समुदाय से लोग अपना मत पंजाब में देने से वंचित हो जाएंगे। चीफ इलेक्शन कमिश्नर को लिखे पत्र में उन्होंने दयालुता पूर्वक इस पर विचार करने को कहा है।
संत रविदास की भूमि सीर : संत रविदास को मानने वाले रैदासिया समुदाय के लाखों लोग पंजाब और हरियाणा ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रहते हैं। वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर में संत रविदास की धरती पर सप्ताह भर आयोजनों का अनवरत क्रम चलता रहता है। लाखों भक्त लंगर छकने के साथ ही गुरु चरणों की धूलि माथे पर लगाने काशी के सीर गोवर्धन में आते हैं। कई मौकों पर रेलवे की ओर से विशेष ट्रेनें भी रैदासियों के लिए चलाई जाती हैं। इस समुदाय के शीर्ष गुरु डेरा सच खंड बल्लां, जालंधर की भी मौजूदगी होती है।