RGAन्यूज़
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आदमपुर में कोरोड़ों रुपये की ग्रांट वितरित करके मोहिंदर सिंह केपी का आधार नए सिरे से तैयार किया था। हालांकि कांग्रेस ने सुखविंदर कोटली को टिकट देकर केपी को बगावत करने के लिए मजबूर कर दिया
जालंधर के पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी की फाइल फोटो
, जालंधर। मोहिंदर सिंह केपी (Mohinder Singh KayPee) प्रदेश कांग्रेस में अच्छी पैठ रखने वाले नेताओं में शुमार थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद वह मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं और खुद केपी ने इस बारे में कहा है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि पार्टी उनके परिवार की सियासत को क्यों खतम करने में जुटी है। तीन बार विधायक व एक बार सांसद रह चुके केपी ने पंजाब कांग्रेस प्रधान के तौर पर भी पार्टी की सेवा की है। तीन बार मंत्री बनने वाले केपी शांत स्वभाव के नेता माने जाते हैं। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी उन्हे अपने साथ चुनावी समर में खड़ा करने को तैयार हो गई है। बस औपचारिकता करना बाकी है
उम्मीद की जा रही है कि मंगलवार को पार्टी की तरफ से दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में केपी को पार्टी ज्वाइन करवाई जाएगी। पंजाब में चरनजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद केपी कांग्रेस में और मजबूत हो गए थे। केपी चन्नी के करीबी रिश्तेदार हैं और केपी को आदमपुर या उनकी वेस्ट की सीट से उन्हें चुनाव लड़ाने को लेकर चन्नी ने काफी कवायद भी की थी। चन्नी ने आदमपुर में कोरोड़ों रुपये की ग्रांट वितरित करके केपी का आधार नए सिरे से तैयार किया था, लेकिन सुखविंदर कोटली को कांग्रेस ने टिकट देकर चन्नी की मेहनत पर पानी फेर दिया और अब केपी बगावत करने वाले नेताओं की लाइन में खड़े हो गए हैं
लंबा सियासी करियर है केपी का
केपी कांग्रेस से तीन बार वेस्ट हलके से विधायक चुने जा चुके हैं। इसके बाद जालंधर से 2009 में सांसद चुने गए। उसके बाद हुए चुनाव में वह वेस्ट की सीट से अपनी पत्नी सुनम केपी को चुनाव नहीं जिता पाए थे। इसके चलते केपी को 2014 के लोकसभा चुनाव में होशियारपुर भेज दिया गया वहां भाजपा के विजय सांपला से केपी चुनाव हार गए। 2017 में उन्हें आदमपुर से कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया लेकिन 29124 वोटों से अकाली दल के पवन टीनू ने उन्हें हरा दिया
पिता की विरासत को संभाल रहे थे केपी
आतंकवाद के दौर में जब सूबे में लोकतंत्र के बहाली के लिए तमाम नेता आगे नहीं आना चाहते थे तो केपी के पिता दर्शन सिंह केपी ने जालंधर से कांग्रेस का झंडा बुलंद रखा था। उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन आतंकवाद के दौर में आतंकियों ने उन्हें मार दिया था। इसके बाद केपी ने उनकी विरसत को संभाला। 65 साल के केपी जालंधर के सबसे शांत स्वभाव वाले नेता हैं और पार्टी की नीतियों पर चलने पर विश्वास करते हैं। यही वजह रही है जब भी पार्टी ने पंजाब कांग्रेस प्रधान सहित तमाम प्रकार की उन्हें जो जिम्मेवारी सौंपी उसे उन्होंने नि
वेस्ट से बनाया जा सकता है उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी इस बार वेस्ट से उम्मीदवार बदलने पर विचार कर रही थी।पार्टी की तरफ से बीते कई चुनावों में भगत चूनी लाल या उनके बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया जा रहा था। इस बार विधानसभा चुनाव में अपना टिकट कटने को लेकर भगत का झुकाव आम आदमी पार्टी की तरफ हो गय़ा था, लेकिन आधिकारिक तौर पर भगत ने कभी भी आप का दामन थामने के बारे में कोई बयानाबाजी नहीं की थी, अब अगर केपी की ज्वाइनिंग भाजपा में होती है तो पार्टी के पास भगत के अलावा केपी के रूप में एक साफ सुधऱी छवि वाला चेहरे का विकल्प भी होगा। नतीजतन उम्मीद की जा रही है कि केपी के जख्मों पर भादपा इस बार केसरिया मरहम लगाकर उन्हें भरने की कोशिश करेगी।