31 को है सोमवती अमावस्या, ये पांच उपाय दे सकते हैं आपको जीवन में तरक्की

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RGAन्यूज़

Somvati Amavasya 2022 माघ माह की अमावस्या तिथि 31 जनवरी सोमवार दोपहर 0218 मिनट से शुरू होगी और एक फरवरी मंगलवार सुबह 1116 मिनट तक रहेगी। माघ मास में पड़ने के कारण इसे माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना 

31 जनवरी से एक फरवरी तक है अमावस्या की तिथि।

आगरा, सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या को बहुत शुभ माना गया है। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत, पूजन और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन पति की दीर्घायु के लिए भी महिलाएं व्रत आदि रखती हैं। वहीं, पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए भी इस दिन कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। इस बार माघ माह की अमावस्या तिथि 31 जनवरी, सोमवार दोपहर 02:18 मिनट से शुरू होगी और एक फरवरी मंगलवार सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी। माघ मास में पड़ने के कारण इसे माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता 

धार्मिक ग्रंथों में मौनी अमावस्या को काफी पुण्यदायी माना गया है। हालांकि, गंगा स्नान के लिए मंगलवार का दिन सबसे उत्तम रहेगा, लेकिन सोमवार के दिन पितरों के निमित कुछ जरूर कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

करना है पितृों को प्रसन्न तो जरू

1- माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त जल में तिल डालें और दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करें। ऐसा करने से पितर तृप्त होते हैं। और प्रसन्न होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

 

2- अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करने का विधान है। इस दिन पीले रंग के धागे से 108 बार परिक्रमा करके बांध दें। अमावस्या के दिन पीपल के नीचे एक दीपक जलाएं। इससे पितरों की कृपा के साथ परिवार में खुशहाली आएगी।

3- ग्रंथों के अनुसार अगर संभव हो तो एक छोटा सा पीपल का पौधा लगाना चाहिए और इसकी सेवा भी करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं। जैसे-जैसे पीपल का पौधा बड़ा होता जाएगा, आपको पितरों का आशीर्वाद मिलेगा। घर से सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे। वैसे तो पीपल का पौधा किसी भी अमावस्या को लगाया जा सकता है, लेकिन कहते हैं कि सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का संयोग आसानी से नहीं मिलता।

4- अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजन से पहले स्वयं पर गंगाजल छिड़क लें। इस दिन पितरों के निमित्त गीता का सातवां अध्याय का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से उनके कष्ट दूर हो जाते हैं और पितर प्रसन्न होते

5- इस दिन पितरों का ध्यान करते हुए दान करें। किसी भी जरूरतमंद या गरीब को अन्न, वस्त्र आदि दान कर सकते हैं। 

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