कल्याण सिंह के गांव में पद्मविभूषण की खुशी, पत्नी को खिलाई लोगों को मिठाई

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RGAन्यूज़

कल्याण सिंह का जन्म अतरौली के गांव मढ़ौली में 5 जनवरी 1932 में हुआ था। यहीं से उन्होंने राजनीति का सफर शुरू किया था। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अतरौली से प्राप्त की। 12वीं तक की पढ़ाई केएमवी इंटर कालेज से की

अतरौली के गांव मढ़ौली में कल्याण सिंह को पदम विभूषण मिलने पर उनकी पत्नी रामवती देवी को मिठाई खिलाते ग्रामीण।

अलीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मरणोपरांत पदमविभूषण मिलने की खुशी जिले भर में है। उनके पैतृक गांव मढ़ाेली में तो लोग मिठाई लेकर उनके घर पहुंच गए। उनकी पत्नी रामवती को बधाई दी। सम्मान की जानकारी के बाद वो भावुक हो गईं। गांव में भी लोगों ने आपस में मिठाई खिलाकर कल्याण का गौरव बताया। यही नजारा कस्बा अतरौली में था। अलीगढ़ में स्थित राज पैलेस पर में खुशी माहौल था। उनके पुत्र व एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया ने कहा कि पूरा देश गौरवान्ति महसूस कर रह रहा है। पूरे देश के लिए सम्मान की बात है। कहा है, बाजू जी हर वर्ग को साथ लेकर चले। पार्टी ने भी उन्हें बहुत कु

बाबूजी को बहुत बड़ा सम्‍मान

मैरिस रोड स्थित राज पैलेस में राजवीर सिंह राजू भैया को बधाई देन के लिए लोग पहुंचे। कोरोना संक्रमित होने चलते राजू भैया ने लोगों से दूरी बनाने की सलाह दी। राजू भावुक भी हुए। बोले, इस सम्मान से मैं, मेरी मां, मेरा परिवार गौरवान्‍वित है। बाबू जी ने ओबीसी, एससी, सवर्ण का बाबूजी ने साथ दिया। भारत सरकार का आभारी हूं। मरणोपरांत ही सही लेकिन बाबू जी को बहुत बड़ा सम्मान दिया है

कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर

कल्याण सिंह का जन्म अतरौली के गांव मढ़ौली में 5 जनवरी 1932 में हुआ था। यहीं से उन्होंने राजनीति का सफर शुरू किया था। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अतरौली से प्राप्त की। 12वीं तक की पढ़ाई केएमवी इंटर कालेज से की। अलीगढ़ के धर्मसमाज डिग्री कालेज से एमए व एलटी की पढ़ाई की। बतौर शिक्षक पहली नौकरी आर्यन कल्चर अकादमी हायर सेकेंडरी स्कूल रायपुर मुजफ्फता में लगी। यहां कुछ वर्ष पढ़ाया। इसके बाद अतरौली स्थित नगर पालिका इंटर कालेज में आ गए। इसी दौरान इनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव हो गया। उन्होंने अतरौली क्षेत्र के गांवों में संघ को बढ़ाने का काम किया। 30 वर्ष की आयु में 1962 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा। उस समय उनकी उम्र 30 वर्ष थी। युवा जोश और उत्साह से वो लबरेज थे। पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 1967 में कल्याण सिंह ने फिर अतरौली विधानसभा क्षेत्र से ताल ठोंकी। इस बार उन्होंने जीत दर्ज की। फिर, राजनीति में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे अतरौली विधानसभा क्षेत्र से 10 बार विधायक चुने गए।

दो बार सीएम बने कल्याण

1971 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अतरौली के केएमवी इंटर कालेज में सभा को संबोधित किया था। यह ऐतिहासिक सभा थी। कल्याण सिंह ने इसमें काफी मेहनत की थी। यहां से उनका कद राष्ट्रीय स्तर पर उठने लगा था। वे राष्ट्रवादी विचारधारा के पक्षधर थे। इमरजेंसी के समय 21 माह जेल में रहे थे। वर्ष 1991 में भाजपा से प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद से उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी। इससे उनकी पहचान कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में बनकर उभरी। पूरे देश में वे चॢचत हो गए थे। 1997 में दोबारा मुख्यमंत्री बने। 1999 तक वो मुख्यमंत्री रहे

मुख्यमंत्री के बाद का राजनीतिक सफर

भाजपा से विवाद होने पर उन्होंने 1999 में राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई। 2002 में विधानसभा चुनाव लड़े। तीन सीटें जीतीं थीं। अतरौली से कल्याण सिंह ने और डिबाई से इनके पुत्र राजवीर सिंह राजू भैया ने जीत दर्ज की थी। 2004 में फिर उन्होंने भाजपा में वापसी कर ली। बुलंदशहर से सांसद का चुनाव लड़े और जीत हासिल की। 2008 में फिर भाजपा से रिश्ते बिगडऩे लगे। इसके बाद 2009 में भाजपा से रिश्ता तोड़कर एटा से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 2010 में जनक्रांति पार्टी बनाई। हालांकि, 2013 के चुनाव में फिर कल्याण सिंह भाजपा में आ गए। शेर की तरह गरजने वाले कल्याण सिंह पर उम्र हावी होने लगी थी,इसलिए वो सक्रिय राजनीति में नहीं जाना चाहते थे। वे हिमाचल व राजस्थान के राज्यपाल

इनका कहना है

बाबूजी ने पूरा जीवन समाज की सेवा में समर्पित किया। उनके लिए सभी समान थे। राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री जी को मेरे व पूरे परिवार की ओर से आभार।

- संदीप सिंह, अतरौली विधायक व वित्त राज्यमंत्री

अलीगढ़ ताला और एएमयू के अलावा स्व. कल्याण सिंह बाबूजी के नाम से भी जाना जाता है। बाबूजी को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।

- अभिनव माहेश्वरी, महावीर पार्क वृंदावन धाम

बाबूजी को पद्म विभूषण सम्मान की घोषणा से मन रोमांचित हो गया। ये किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि रामभक्त व राष्ट्रवाद का सम्मान है। बाबूजी ऐसे राष्ट्रवादी नेता थे जिन्होंने रामभक्ति के लिए सत्ता प्रसाद को ठुकरा दिया था।

डा. चंद्रशेखर शर्मा, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता

कल्याण सिंह प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति के केंद्र बिंदु थे। उन्होंने हमेशा मजबूत राष्ट्र को प्राथमिकता दी। यूपी में सुशाषन का संदेश दिया। अब केंद्र सरकार ने बाबू जी को पद्दम विभूषण देने का एलान कर अलीगढ़ को बड़ी सौगात दी है।

-विजय सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष

बाबूजी की वजह से हमारे क्षेत्र का नाम देश से लेकर विदेश तक छाया। अब उन्हें यह सम्मान मिलने से क्षेत्र का नाम और भी रोशन हो गया। बाबू जी ने हमेशा सर्व समाज के लिए काम किया।

धर्मवती देवी सभासद मढ़ौली।

बाबू जी कल्याण सिंह ने अयोध्या में राममंदिर बनवाने के लिए जो संघर्ष किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। इस सम्मान के वो हकदार थे। सरकार के फैसले से बहुत खुशी मिली है।

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