भाजपा प्रत्‍याशी संदीप सिंह को कल्याण का गढ़ बचाने को कैसे मिल रही चुनौती, जानें विस्‍तार से

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RGAन्यूज़

पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह का अलीगढ़ में दबदबा रहा है। मगर इस बार वे नहीं है। कल्‍याण सिंह के दिवंगत होने की वजह से विपक्ष हावी हो रहा है। विपक्ष ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। ऐसे में भाजपा प्रत्‍याशी संदीप सिंह के सामने 

विरासत को संभालने में संदीप के साथ पूरा परिवार भी खड़ा है।

अलीगढ़, । गंगा...। जो सबके कल्याण के लिए धरती पर उतरीं। तारण हार बनीं। इसकी धारा अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा क्षेत्र से भी गुजरती है। यहीं से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भाजपा के लिए एक नया इतिहास रचा। उनकी यह जन्म स्थली है। राजनीति की शहमात भरी चालें उनके इशारों पर थीं। 10 बार स्वयं विधायक बने । एक बार पुत्र बधु। वर्तमान में पौत्र संदीप सिंह, जो वित्त राज्य मंत्री भी हैं। इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। कल्याण के बिना यह पहला चुनाव है। उनके गढ़ को भेदना विपक्षियों को अब आसान लग रहा है। वे घेराबंदी कर रहे हैं तो विरासत को संभालने में संदीप के साथ पूरा परिवार भी खड़ा है। जातिगत वोटों के धुव्रिकरण से सभी को आस है। मतदाताओं के मूड को भांपती

मतदाता है खामोश

अलीगढ़ जिलेे के अंतिम छोर सांकरा घाट। गंगा के किनारे बसे गांवों से लेकर करीब 30 किलोमीटर दूर कल्याण सिंह का पैतृक गांव मंढौली। जीत की राह यहीं से निकलती है। जातिगत वोटों का गुणागणित करते वक्त इसी क्षेत्र के मतदाताओं का आकड़ा अंगुलियों पर होता है। यादव और लोधे बहुल्य क्षेत्र है। इनका झुकाव जिधर होता है, जयकारे उसी के लगने लगते हैं। लंबे समय तक इसी गणित को कल्याण सिंह ने साधे रखा, जिसे संभालने को अब सभी दलों के दिग्गज हाथ फैलाए हैं। लेकिन, मतदाता खामोश हैं। गंगा के घाट के पास बैठे दादों के राम सिंह ने मन का भेद न खोला। अधिक टटोलने पर बोले, बाबू जी की बात कुछ और थी। अब कौन? सवाल पर हंसते हुए बोले, गंगा ही जाने। इसी भाव में कुछ आगे आलमपुर चौराहे पर अजय कुमार भी थे। बोले, अब पहले जैसी बात नहीं। चुनाव विकास के मुद्दे पर है। युवाओं को रोजगार चाहिए। सपा और बसपा की पकड़ भी ठीक है। लेकिन आलमपुर के अनिल को भाजपा के राष्ट्रवाद पर गर्व था। बोले, विकास के मुद्दे से अधिक बड़ा राष्ट्र का मुद्दा है। मतदान होने दो दूध का दूध पानी का पानी हो जा

हर तरफ चुनावी माहौल

अतरौली विधानसभा क्षेत्र में हर तरफ इसी तरह का चुनावी माहौल है। यहां से इस बार 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। हालांकि, इनमें से किसी ने भी कल्याण सिंह के सामने चुनाव नहीं लड़ा। सपा के वीरेश यादव वर्ष 2012 में विधायक बने थे। उन्होंने कल्याण सिंह की पुत्र बधु प्रेमलता देवी को 9042 वोटों से हराया था। वे राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से प्रत्याशी थीं। इसका बदला कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह ने 2017 में लिया। भाजपा प्रत्याशी संदीप ने सपा के वीरेश यादव को करीब 50 हजार वोटों से हराया था। इस बार सपा को रालोद के गठबंधन का भी लाभ मिलने की उम्मीद है। बसपा प्रत्याशी डा. ओमवीर सिंह पहली बार मैदान में हैं। औटा के अध्यक्ष होने के अलावा उन्हें जाट और बसपा के कैडर वोट और अन्य समाज के लोगों में अपनी पकड़ पर भरोसा है तो कांग्रेस के प्रत्याशी डा. धर्मेंद्र लोधी अपने समाज के वोटों से गंगा पार करना चाह रहे हैं। इन्हीं वोटों के भरोसे कल्याण लंबे समय तक राज करते रहे। इन्हीं जातिगत आकड़ों पर गांव हरदोई के पास बहस छिड़ी हुई थी। वहीं के पं. रामेश चंद्र इस बार भी यादव और लोधे समाज के वोटों को निर्णायक बता रहे थे। उनका कहना था कि नए सिरे से ये समाज निर्णय ले सकता है। इसी उम्मीद से सभी दल भाजपा को घेर रही है। सभी दलों के लगे झंडे -बैनरों की ओर इशारा करते पालीमुकीमपुर के राकेश कड़े मुकाबले की बात कहने लगे। लेकिन, भाजपा सरकार के कामों की तारीफ भी करने लगे। बोले, अपराधी भाग गए। कुछ आगे ही अतरौली में मतदाताओं के मन की भांपना बड़ा मुश्किल रहा। अखबार पढ़ते तिलक राज बात शुरू होते ही बोले, जनता ऐसी सरकार चाहती है तो कानून व्यवस्था को दुरस्त रखे। अवंतीबाई चौराहे से कल्याण के गांव मंढौली के प्रवेश करते ही लोग बाबू जी के काम याद दिलाते मिले। इनमें शामिल डीएस लोधी सवाल करने लगे, बोले-भगवान राम के लिए कुर्सी छोड़ दी थी। रामभक्तों पर गोली नहीं चलवाई। उन्हें भूल कैसे जाएं।

कल्याण की राजनीति

अब तक विधानसभा के 17 चुनाव हुए। इनमें से तीन में कांग्रेस की जीत हुई। सोसलिस्ट पार्टी और सपा को एक-एक बार जीत हासिल हुई। शेष चुनावों में कल्याण सिंह व उनके स्वजन ही जीते। 10 बार कल्याण सिंह विधायक रहे। इसमे से तीन बार भारतीय जनसंघ से, एक बार जनता पार्टी से, छह बार भाजपा से। उनकी पुत्र बधु व पौत्र संदीप एक-एक जीत चुके हैं।

लोधी 75 हज़ार, यादव 70 हज़ार, ब्राह्मण 35 हज़ार, जाट व मुस्लिम 30-30 हज़ार, जाटव 25 हज़ार, ठाकुर 16 हज़ार, बघेल 16 हज़ार हैं। शेष अन्य जाति।

मतदाताओं पर नजर

कुल -401516

पुरुष- 214714

महिला-186792

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2017 के चुनाव पर नजर

भाजपा के संदीप सिंह को 115397 वोट मिले

सपा के वीरेश यादव को 64430 

बसपा के लियाकत चौधरी को 45041 वोट मिले

नोटा का बटन 1325 लोगों ने दबाया, जिसे चौथा स्थान मिला

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