![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/05_02_2022-babyrani_maurya_22440900.jpg)
RGA न्यूज़
आगरा ग्रामीण क्षेत्र में लोग भारतीय जनता पार्टी बहुजन समाज पार्टी और सपा-रालोद गठबंधन में मान रहे त्रिकोणीय संघर्ष। कांग्रेस के सामने भी साख बचाने की चुनौती। भाजपा ने मौजूदा विधायक हेमलता दिवाकर की टिकट काटकर बेबीरानी मौर्य को उतारा है यहां मैदान में।
उत्तराखंड की राज्यपाल रहीं बेबीरानी मौर्य अब विधानसभा सीट के लिए आगरा ग्रामीण से किस्मत आजमा रही हैं।
आगरा ठिठुरन भरी ठंड में आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट पर राजनीतिक सरगर्मियों की तपिश देखी जा सकती है। इस सीट पर उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबीरानी मौर्य की प्रतिष्ठा दांव है। पूरे सूबे में अनुसूचित वर्ग काे साधने की कमान देने के बाद पार्टी ने उन्हें माैजूदा विधायक हेमलता दिवाकर का टिकट काट इस सीट से मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और इस सीट से गत चुनाव लड़ चुके प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह पर फिर से दांव खेला है। बेबीरानी को घेरने के लिए सपा-रालोद गठबंधन ने नए चेहरे महेश जाटव काे मैदान में उतारा है तो बसपा अपनी खोयी हुई सीट को फिर से पाना चाहती है।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले हुए परिसीमन क्षेत्र का गठन हुआ। इससे पहले दयालबाग सीट के नाम से इसे जाना जाता था, जिसमें शहर के बीच का भी काफी हिस्सा जुड़ा था। बदलाव के बाद शहर से लगी हुई इस विधानसभा क्षेत्र का विस्तार फतेहपुर सीकरी और फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र तक है। हाईवे से लगे विधानसभा क्षेत्र के गांव सहारा में खेत पर पानी लगा रहे राजेंद्र के खेत पर सड़क से गुजर रहे उमेश और किशन भी रुक गए। राजेंद्र ने कहा कि मुद्दे तो सभी पुराने हैं, लेकिन कुछ चेहरे बदल जाते हैं। भाजपा ने मौजूदा विधायक हेमलता दिवाकर कुशवाह का टिकट काट बेबीरानी मौर्य को थमा दिया है। सारे सवाल अब उनसे पूछे जा रहे हैं, वहीं दूसरे दल वाले भी आ रहे हैं, उनकी भी बात सुनी जा रही है। उमेश और किशन बोले भाजपा को तो अपनों ने ही घेर रखा है। पूर्व सांसद प्रभु दयाल कठेरिया के बेटे अरुण कांत भी तो आप से चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ आगे बढ़े तो गांव बरारा पहुंच गए। ग्रामीण विपिन ने बताया कि पिछले दिनों सड़क पड़ी थी, लेकिन मुद्दा ये नहीं है। गांव के अंदर बहुत सारा काम होना है, जिस पर किसी का ध्यान ही नहीं है। कुछ आगे बढ़े तो रामबाबू सिंह के आंगन में गांव के बुजुर्ग और प्रबुद्धों की महफिल जमी थी। साथ में धूप सेकते हुए उनसे पूछा कि क्या चर्चा चल रही हैं। इस पर रामबाबू सिंह बोले इस बार मामला उलझा हुआ है। तस्वीर किसी की साफ नहीं है, लेकिन संघर्ष में भाजपा, बसपा और गठबंधन नजर आ रहा है। पास खड़े राजेश ने रोक दिया और बोले कांग्रेस को किससे कम आंक रहे हैं। वो भी पूरी ताकत से जुटी है। संत कुमार और शिवराज ने कहा कि वर्ष 2012 में बसपा और वर्ष 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की है। इसलिए किसी को कम नहीं कहा जा सकता है। वहीं सपा-रालोद मिलकर मजबूत हो गए हैं। इसके बाद मलपुरा पहुंचे तो यहां मुख्य बाजार से कुछ आगे चाय की दुकान पर बुजुर्ग और युवा जुटे थे। वे चुनाव और बजट दाेनों पर चिंतन कर रहे थे। हम भी शामिल हुए तो कहने युवा हेमंत ने कहा कि अब मोबाइल, चार्जर सस्ते होंगे, तो तपाक से बुजुर्ग दौलतराम ने कहा कि किसानों की निधि नहीं बढ़ी तो आलू वाले किसानों के लिए भी कुछ नहीं सोचा है।
दूसरे बुजुर्ग भीकम सिंह ने कहा लल्लू तो बता रहा था कि कृषि यंत्र सस्ते हो जाएंगे। मलपुरा से दो किलोमीटर दूर दक्षिणी बाईपास के किनारे स्थित सिरौली में बरगद के पेड़ के नीचे बड़े पत्तथर पर बैठे सोमवीर सिंह ने कहा कि इस बार की अखिलेश-जयंत की जोड़ी कुछ कमाल न कर जाए, तो दिलीप सिंह बोले कि जोड़िए तो हर चुनाव में बनती रहती हैं, यहां तो सीएम योगी और पीएम मोदी का नाम ही है। चंद्रभान ने कहा कि हाथी को किससे कम आंक रहे हो, पूराने इतिहास उठाओ कई बार जमकर चिंघाड़ा है।
भाजपा को अपनों से चुनौती
बेटे को टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व सांसद प्रभुदयाल कठेरिया ने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने बेटे को निर्दलीय मैदान में उतारा तो आम आदमी पार्टी ने अपने मौजूद प्रत्याशी का टिकट काट पूर्व सांसद के बेटे अरुण कांत को प्रत्याशी बना दिया है। वे भाजपा के लिए बड़ा रोड़ा है, तो मौजूद विधायक की नाराजगी से भी लोग कयास लगा रहे हैं। पार्टी ने उनका टिकट क्षेत्र में विरोध और सर्वे रिपोर्ट के आधार पर काटा है। हाल ही में उन्हें केंद्रीय मंत्री और भाजपा के उप्र चुनाव प्रभारी धर्मेद्र प्रधान ने घर पहुंच मनाया था।
बसपा को वापिसी की आस
वर्ष 1996 और वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में बसपा से किशन लाल बघेल ने जीत दर्ज की थी, उस समय आगरा ग्रामीण को दयालबाग विधानसभा क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। परिसीमन के बाद पहली बार वर्ष 2012 में चुनाव हुआ, जिसमें बसपा के कालीचरन सुमन ने 18 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी, जबकि दूसरे स्थान पर सपा से हेमलता दिवाकर कुशवाह रहीं थी। वर्ष 2017 के चुनाव से ठीक पहले हेमलता ने भाजपा ज्वाइन की थी, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें मैदान में उतार था। उन्होंने भगवा लहर में बसपा के कालीचरन सुमन को 64 हजार से अधिक वोटों से हरा जीत दर्ज की थी। पूर्व विधायक कालीचरन सुमन ने भी हाल ही में भाजपा की सदस्यता ली है
कुल मतदाता, 423301
पुरुष, 230100
महिला, 193181
वर्ष 2017 में हुआ मतदान
कुल, 63.58 फीसद
पुरुष, 65.47 फीसद
महिला, 61.25 फीसद