अलीगढ़ में चुनाव ने कैंपस में खींच दी दीवार, जानें विस्‍तार से

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RGAन्यूज़

UP Election 2022 उतर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में दस फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के नेताओं के बीच चुनावी मुद्दों पर ठन जाने की बात तो आम है। जिले में हुई इस चुनावी प्रक्रिया ने कैंपस में छोटे बड़े की दीवार खींच दी है

एएमयू कैंपस में छोटे बड़े की दीवार खींच दी है।

अलीगढ़,। विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के नेताओं के बीच चुनावी मुद्दों पर ठन जाने की बात तो आम है। मगर पहले चरण में जिले में हुई इस चुनावी प्रक्रिया ने शिक्षा के 'केंद्रÓ ङ्क्षबदु माने जाने वाले बड़े कैंपस में छोटे बड़े की दीवार खींच दी है। इसकी सुगबुगाहट भी मतदान के अगले दिन ही कैंपस के अंदर व बाहर होनी शुरू हो गई है। दरअसल, प्रोफेसर साहब का पद तो बड़ा होता है। शिक्षक, कर्मचारी व चतुर्थश्रेणी कर्मचारी आदि तमाम इनसे नीचे के पद पर होते हैं। विधानसभा चुनाव के चलते शिक्षकों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। इसमें प्रोफेसर साहब की रैंक रखने वालों को इस महासमर में नहीं भेजा गया, जबकि इनसे नीचे वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई। जिम्मेदारी पूरी शिद्दत से निभाई गई, लेकिन भेदभाव की टीस मतदान के बाद निकल रही है। इससे कैंपस में छोटे-बड़े की दीवार-सी ङ्क्षखच गई 

सख्ती बरपाई, मायूसी छाई

बड़े-बड़े कैंपस में खेल कोटे से भी कक्षाओं में दाखिला मिलता है। इसके लिए पूर्व में भी खिलाडिय़ों के ट्रायल किए जाते रहे हैं। मगर इन ट्रायल में सख्ती का अभाव रहता था। ट्रायल दिलाने वाले अभिभावक ट्रायल लेने वाले प्रशिक्षकों की टीम के पास तक खड़े रहते थे। हर कोई अपनी कहीं न कहीं से पहचान निकालकर परिणाम प्रभावित करने की कोशिश भी करता था। इस बार ट्रायल लेने वाले प्रशिक्षकों व कमेटी सदस्यों ने बाहरी ही नहीं बल्कि कैंपस के अंदर के लोगों को भी बाहर का रास्ता दिखाया। इससे कुछ त्योरियां जरूर चढ़ीं, लेकिन किसी की सिफारिश नहीं आ सकी। परिणाम जारी करने में कोई मान-मनौव्वल न चलने से कई लोगों में मायूसी भी छाई। खिलाडिय़ों ने अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन किया जिसके आधार पर उनको अंक मिले। कुछ लोगों ने गीदड़भभकी भी दी कि प्रशिक्षकों के दिमाग खराब हो रहे हैं, इनका इलाज करना प

'एक्सटेंशन' ने किया आला हुक्मरान को 'पाजिटिव'

कोरोना संक्रमण काल में कोविड-19 वायरस से कोई भी पाजिटिव होना नहीं चाहेगा। मगर शिक्षा के सरकारी कैंपस की बागडोर अपने हाथ में रखने वाले आला हुक्मरान को एक्सटेंशन ने 'पाजिटिवÓ मोड यानी सकारात्मक रुख में जरूर ला दिया है। करीब आठ महीने या सालभर पहले ही ड्यूटी के एक्सटेंशन का पत्र आ जाता है। मगर हुक्मरान का एक्सटेंशन पत्र अभी जारी नहीं किया जा सका है, जबकि दूर-दराज के राज्यों में कई ऐसे कैंपस के हुक्मरानों का एक्सटेंशन लेटर जारी हो चुका है। ऐसे में हुक्मरान सकारात्मक रुख अख्तियार करते हुए कुछ राजनीतिक नुमाइंदों के काम बड़ी शांति व बिना ना नुकुर के किए जा रहे हैं, ताकि एक्सटेंशन लेटर आने में कोई अड़ंगा न लगे। इसकी जरूरत भी ज्यादा इसलिए है क्योंकि आगामी दिनों में बेटे के जीवन की नई पारी भी शुरू होनी है। एक्सटेंशन न मिला तो बेटे की पारी शुरू कराने में अड़चन तो आएगी।

 

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