मुकदमे में मर चुकी थी आगरा की सामंती, 1638 दिन बाद पुलिस ने खोजा तो खुला ये राज

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RGAन्यूज़

थाना फतेहाबाद इलाके से अक्टूबर 2017 में हुई थी गायब। पिता ने ससुराल वालों पर दर्ज कराया था मुकदमा। अपहरण के बाद हत्या कर शव गायब करने का था शक। पुलिस ने बदायूं के बिल्सी थाना क्षेत्र में खोज निकाली सामंती।

फतेहाबाद की रहने वाली 24 वर्षीय सामंती की शादी करीब छह साल पहले हुई थी।

आगरा। मुकदमे में मर चुकी आगरा की सामंती की कहानी किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं है। उसके अपने अपहरण के बाद हत्या कर उसके शव को छिपाने की आशंका जता रहे थे। ससुराल वालों के खिलाफ उसका अपहरण कर गायब करने का मुकदमा भी दर्ज करा दिया।मगर, इन सब बातों से बेखबर 140 रुपये लेकर घर से निकलने के बाद नई जिंदगी की तलाश में निकल चुकी थी। उधर, स्वजन ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी। जिसने आगरा के पुलिस अधिकारियों के सामने सामंती का पता लगाने की चुनौती पेश कर दी। पुलिस ने 1638 दिन बाद आखिरकार उसका पता लगा लिया, बदायूं तक वह सकुशल थी। इन 140 रुपये में उसने जिंदगी के 1638 दिन किस तरह से बिताए, पुलिस काे इसका सच बताया तो वह भी हैरान र

कौन है आगरा की सामंती

पुलिस के मुताबिक फतेहाबाद की रहने वाली 24 वर्षीय सामंती की शादी करीब छह साल पहले हुई थी। उसके पिता चाट की ठेल लगाते थे। पति और ससुराल वालों भी चाट का काम करते थे। सामंती एक दिन ससुराल से मायके आने की तैयारी कर रही थी। उसने ससुराल वालों से अपने चांदी के जेवरात देने की कहा। ससुराल वालों ने उससे कहा कि वह जेवरात रास्ते में कहीं खो न जाएं, इसलिए वह उन्हें अगली बार मायके जाए तो लेती जाना। यह बात सामंती को बुरी लग गई। उसने मायके आकर यह बात अपनी मां को बताई। मां ने भी उसे समझाया कि शुरूआत में यह सब चलता है, धीरे-धीरे ससुराल में सब सही हो जाएगा। यह बात सामंती को बुरी लग गई। वह घर से ससुराल आने के लिए निकली। मगर वह रास्ते से ही गायब हो गई। उसके पिता ने थाने में दी, पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली। विवााहिता को तलाश किया, लेकिन उसका सुराग नहीं लगा। स्वजन को उसके साथ अनहोनी का शक हो गया। उन्होंने न्यायिक आदेश पर ससुराल वालों के खिलाफ 13 फरवरी 2018 में मुकदमा दर्ज करा दिया। सामंती के पति व ससुराल वालों पर उसका अपहरण कर गायब करने का आरोप ल

सामंती के 140 रुपये में जिंदगी के 1638 दिन की क्या है कहानी

सामंती ने पुलिस को बताया कि वह मायके व ससुराल वालों से नाराज होकर दोनों ही घरों में नहीं रहने का फैसला कर चुकी थी। वह घर से निकली तो उसके पास सिर्फ 140 रुपये थे। इनमें से दस रुपये खर्च करके वह आटो से वाटर वर्क्स पहुंची। उसने तय कर रखा था कि जो भी पहली बस मिलेगी वह उसमें बैठ जाएगी। चौराहे पर पहली बस कासगंज की आई, वह उसी में सवार हो गई। वह कासगंज पहुंची वहां भी उसने यही किया। उसे जो पहली बस मिली उसमें बैठ गई। यह बस बदायूं जा रही थी। वह बदायूं पहुंची तो उसके पास सिर्फ दस रुपये बचे थे। उसने तय किया कि यह दस रुपये ही उसकी आखिरी मंजिल को तय करेंगे। वह बदायूं बस स्टैंड से आटो में सवार हुई। उसके चालक से दस रुपये देकर कहा कि जहां तक का किराया है, वहां पर उतार देना। आटो वाले ने उसे बदायूं के बिल्सी थाना क्षेत्र में उतार दिया। वहां उतरने के बाद उसके पास रुपये नहीं बचे थे। वह एक दिन भूखी-प्यासी सड़क किनारे बैठी रही। शाम को वहां के गांव शाहबाजपुर के एक पूर्व प्रधान अपना सामान लदवाने बिल्सी आए थे। वह काम कराने के बाद खाना खाने लगे। भूख से बेहाल सामंती ने पूर्व प्रधान के पास जाकर कहा कि उसे खाना खाना है। पूर्व प्रधान ने उसे अपने हिस्से का खाना खिलाया। इसके बाद उसके बारे में पूछा कि वह कहां की रहने वाली है, यहां कैसे तो सामंती ने बताया कि वह फतेहाबाद की रहने वाली है। मगर, अब घर नहीं जाना चाहती। पूर्व प्रधान भले आदमी थे। उन्हें लगा कि अकेली लड़की के साथ कोई अनहोनी न हो जाए, इसलिए उससे पूछा कि क्या वह उनके गांव चलेगी। सामंती के हामी भरने पर पूर्व प्रधान उसे अपने साथ गांव ले आए। वह शहबाजपुर गांव में तीन महीने त

गांव वालों ने एतराज किया तो करा दी शादी

सामंती के अकेले रहने पर गांव वालों ने एतराज किया। उनका कहना था कि वह उसके बारे मे नहीं जानते हैं कि कहां की रहने वाली है। इस तरह वह कब तक अकेली रहेगी। जिस पर पूर्व प्रधान ने उससे बातचीत की। सामंती को वह अपने परिवार की सदस्य की तरह मानने लगे थे। सामंती से पूछा कि वह उसकी शादी करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए उसकी सहमति होनी चाहिए। सामंती की सहमति के बाद गांव वालों ने उसकी शादी नेमपाल से करा दी। वह मजदूरी करता है। नेमपाल से सामंती को एक बच्चा हुआ, जिसकी कुछ दिन बाद मौत हो गई। इसके बाद उसे दूसरा बच्चा हुआ, जो करीब दो साल का है। इस तरह से उसने दूसरे पति के साथ नई जिंदगी 

पुलिस क्यों तलाश रही थी उसे

इधर, सामंती के स्वजन को शक था कि ससुराल वालों ने अपहरण के बाद उसे कहीं गायब कर दिया है। स्वजन ससुराल वालों पर उसकी हत्या का आरोप लगा रहे थे। पुलिस ने ससुराल वालों के मोबाइल की लोकेशन निकाली तो वह घटना वाले दिन अलग-अलग थी। सामंती के गायब होने के पीछे पुलिस को ससुराल वालों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं था। जिस पर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। उधर, सामंती के स्वजन को लगा कि पुलिस आरोपितों से मिलीभगत के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। जिस पर उन्होंने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पिछले साल दायर कर दी। कोर्ट ने अधिकारियों को तलब कर लिया। पुलिस को सामंती का पता लगाने के आदेश किए। जिसके बाद से पुलिस सामंती को तलाश करने में जुटी हुई थी

पुलिस को कैसे मिला सामंती का सुराग

सामंती के पति नेमपाल की रिश्तेदारी अागरा के अछनेरा में है। अछनेरा में वह रिश्तेदार के यहां आयोजित शादी समारोह में शामिल हाेने के लिए सामंती को लेकर आया था। मगर, सामंती ने यह नहीं बताया कि वह आगरा के ही फतेहाबाद की रहने वाली है।वह शादी करके पति के साथ बिल्सी लौट गई। इधर, सामंती को तलाश करने के लिए पुलिस ने उसके फोटो को इंटरनेट मीडिया में भी वायरल किया था। उसके पंफलेट भी छपवाकर बांटे। इसी दौरान एक महीने पहले पुलिस को पता चला कि सामंती नाम की एक महिला वर्ष 2019 में बदायूं से अछनेरा एक शादी में शामिल होने आई थी। पुलिस अछनेरा में नेमपाल के रिश्तेदार को खोजते हुए पहुं पहुंची। उसे सामंती का फोटो दिखाया, रिश्तेदार का कहना था कि फोटो वाली युवती का काफी हद तक नेमपाल की पत्नी से मिलती है।जिसके बाद पुलिस ने नेमपाल का मोबाइल नंबर लिया। उससे बातचीत की, सामंती के बारे में बताया। नेमपाल ने बताया कि उसकी पत्नी फतेहाबाद की रहने वाली है, उसे नहीं पता कि वह किस जिले में पड़ता है। जिस पर पुलिस ने नेमपाल से सामंती को वीडियो काल करके दिखाने की कहा।

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