जेल में बनी साड़ी और शर्ट पहनना पसंद करेंगे आप, हथियार पकड़ने वाले हाथ संभाल रहे हथकरघा

Praveen Upadhayay's picture

RGAन्यूज़

आगरा की जेल में जबलपुर की संस्था की मदद से हुनरमंद बन रहे सजायाफ्ता बंदी। सलाखों के पीछे रहने के बाद भी हथकरघा की मदद से कर रहे कमाई। साड़ी शर्ट और चादर का किया जा रहा है बंदियों द्वारा जेल में 

आगरा सेंट्रल जेल में चरखे पर सूत कातते बं

 कभी हाथों में हथियार पकड़ने के चलते सलाखों के पीछे पहुंच सजा काट रहे बंदियों ने अब हुनर को अपना हथियार बनाया है। वह हथकरघों पर अपने सपनों का ताना-बाना बुन रहे हैं। सफेद और रंगीन धागों से बुने सपनों को वह साड़ी, शर्ट, चादर, कुर्ता पजामा की शक्ल दे रहे हैं। सलाखों के पीछे रहने के बावजूद ये बंदी अपने हुनर के बूते बाजार से कमाई कर रहे हैं।

अहिंसा के सूत से गांधी के सपनों को बुनने का यह सिलसिला करीब तीन साल पहले शुरू हुआ। जबलपुर की संस्था ने बंदियों में मानसिक बदलाव लाने और उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए शुरूआत में कुछ हथकरघा लगाए। बंदियों को हथकरघा पर बुनाई के लिए संस्था ने प्रशिक्षण दिया। बंदियों ने जल्द ही हथकरघा पर बुनाई में महारत हासिल कर ली। जिसके चलते कारागार में पिछले वर्ष गांधी जयंती के अवसर पर और हथकरघा लगाए 

बंदियों द्वारा यहां पर हथकरघा पर बेहतर गुणवत्ता की साड़ियां, चादर, शर्ट व कुर्ता-पजामा आदि वस्त्र तैयार किए जाते हैं। संस्था ने बंदियों द्वारा तैयार इन वस्त्रों को अपनी दुकान पर बेचती है। बंदी को उसके द्वारा तैयार उत्पादों पर प्रति नग के हिसाब से भुगतान किया जाता है। हथकरघा पर काम करने वाले बंदियों को हर महीने हजारों रुपये की कमाई होती है।

आगरा की सेंट्रल जेल में हथकरघा पर उत्‍पाद तैयार करते बंदी। 

अधिकारियों ने देखा बंदियों का हुनर

केंद्रीय कारागार का सोमवार को निरीक्षण करने आए पुलिस-प्रशासन के अधिकारी बंदियों का हुनर देख उसकी प्रशंसा की। इस दौरान बैरकों, रसोई व अस्पताल का भी निरीक्षण किया। डीएम प्रभु एन सिंह व एसएसपी सुधीर कुमार सिंह समेत अन्य अधिकारी सोमवार काे तीसरे पहर करीब चार बजे केंद्रीय कारागार पहुंचे। यहां पर बंदियों के स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी ली। निरीक्षण के दौरान अधिकारी परिसर में कारखाने में पहुंचे। यहां बंदियों द्वारा फर्नीचर तैयार किया जा रहा था। जो कि प्रशिक्षित कारपेंटरों की तरह बनाया गया था। वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार वीके सिंह ने अधिकारियों को बताया कि बंदियों द्वारा आर्डर पर फर्नीचर तैयार किया जाता है। डीएम ने कारागार प्रशासन को साफ-सफाई के अलावा बंदियों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराने के निर्देश

प्रति नग के हिसाब से बंदियों को भुगतान

जबलपुर की संस्था भारत पताका हथकरघा केंद्र करीब तीन साल से यहां काम कर रही है। संस्था की ओर से बंदियों को दो दर्जन से अधिक हथकरघा दिए गए हैं। जिस पर 30 से 35 बंदी काम कर रहे हैं। बंदियाें को प्रति नग के हिसाब से भुगतान किया जाता है। यह उनके कौशल विकास के साथ ही बाहर निकलने पर पुर्नवास में भी मदद करता

Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.