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Mahashivratri Parv 2022 प्रयागराज माघ मेला 2022 का समापन आज महाशिवरात्रि स्नान पर्व से होगा। गंगा यमुना के संगम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जनपद के शिव मंदिरों में जलाभिषेक पूजन-अर्चन का क्रम सुबह से जारी है।
Mahashivratri Snan Parv 2022: संगम नगरी में गंगा और यमुना के संगम में आस्था की डुबकी लग रही है।
प्रयागराज, भगवान शिव व माता पार्वती के मिलन पर्व महाशिवरात्रि पर चहुंओर शिवमय माहौल है। शिवालयों में दर्शन, पूजन व अभिषेक के लिए भक्तों का तांता लगा है। 'हर-हर महादेव, भोले बाबा की जय' का गगनचुंबी उद्घोष करते हुए नर, नारी व बच्चे शिवलिंग पर जलाभिषेक, महाभिषेक व रुद्राभिषेक करने में लीन हैं। प्रयागराज संगम तट पर जप, तप, त्याग व तपस्या का प्रतीक माघ मेला मकर संक्रांति से चल रहा है। महाशिवरात्रि माघ मेला का अंतिम स्नान पर्व है। इसके साथ मेला पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। मेला क्षेत्र में प्रवास कर रहे संत व श्रद्धालु मंगलवार की भोर में स्नान करके मेला क्षेत्र से लौटने लगे हैं।
महाशिवरात्रि स्नान को देश भर से आए श्रद्धालु
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर संगम व गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए देशभर से श्रद्धालु आए हैं। यम-नियम से स्नान व दान करके लोग दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति पाने की कामना कर रहे हैं। स्नान के बाद शिवालयों में दर्शन-पूजन करते हैं। इससे मनकामेश्वर, दशाश्वेमध महादेव, नागवासुकी, हाटकेश्वर महादेव आदि शिवालयों में भक्तों की काफी भीड़
इस मंत्र का आज करें जाप तो सौभाग्य की प्राप्ति होगी : श्रीधरानंद ब्रह्मचारी
प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर के प्रभारी श्रीधरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि महाशिवरात्रि भगवान शिव व मां पार्वती के विवाह की रात्रि है। इस दिन महादेव का व्रत रखकर पूजन करने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, बेल अर्पित करना चाहिए। 'ओम अघोराय नम:, ओम तत्पुरूषाय नम:, ओम ईशानाय नम: अथवा ऊं ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय:' में से किसी एक मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र कटे व फटे न हों, 11 या 21 बेलपत्र पर चंदन से ऊं अंकित करके चढ़ाना चाहिए। पानी में काला तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करके ऊं नम: शिवाय का 108 बार जाप करने से मन को शांति मिलती है। संतान प्राप्ति के लिए आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार जलाभिषेक करना चाहिए। सुख-समृद्धि के लिए नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाना चाहिए। तिल व जौ शिवलिंग पर चढ़ाने से पापों का नाश होने के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।