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RGAन्यूज़
यूक्रेन से अलीगढ़ लौटी छात्रा नेयम बताती हैं कि उनके अपार्टमेंट के ऊपर से उड़ते फाइटर प्लेन की आवाज सुनकरआज भी दिल दहल जाता है। माइनस आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में 16 घंटे रोमानिया बार्डर के बाहर खड़ेे रहना उन्हें हमेशा
इवानो-फ्रन्कीव्स्क की मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीए की छात्रा नेयम।
अलीगढ़,। यूक्रेन में रूसी बम धमाकों और सायरन की दहलाने वाली आवाजों के बीच खुद को बचाना किसी जंग से कम नहीं था। ऐसे ही खौफनाक माहौल में अलीगढ़ की छात्रा नेयम राशिद ने भी सफर किया। माइनस आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में नेयम 16 घंटे रोमानिया बार्डर के बाहर खड़ी रहीं। प्रवेश की अनुमति मिली तो 17 घंटे में 10 किमी का पैदल सफर किया। न खाना था, न पानी। सकुशल अलीगढ़ पहुंचीं नेयम यूक्रेन में बिताए पिछले कुछ दिनों को याद कर सिहर जाती हैं।
को देख लिपट गईं नेयम
शहर के मंजूरगढ़ी निवासी आलम राशिद की बेटी नेयम राशिद यूक्रेन के इवानो-फ्रन्कीव्स्क शहर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। रोमानिया से वह फ्लाइट के जरिए बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचीं। पिता आलम राशिद और मां गौसिया तरन्नुम एयरपोर्ट पर नेयम का इंतजार कर रहे थे। माता-पिता को देख नेयम उनसे लिपट गईं। बेटी की सकुशल वतन वापसी से दोनों खुश थे। खुशी के मारे आंखें नम हो गईं। और भी छात्र-छात्राएं नेयम के साथ वापस लौटे थे। बेटी को लेकर घर लौटे आलम राशिद ने बताया कि यूक्रेन में लगातार हो रही बमबारी के बीच बेटी के इवानो-फ्रन्कीव्स्क शहर में फंसे होने से पूरा परिवार दहशत में था। बेटी को सकुशल देखकर सुकून मिला है। नेयम ने बताया कि यूक्रेन में बिताए पिछले कुछ दिन दहशत भरे थे। फाइटर प्लेन उनके अपार्टमेंट के ऊपर से होकर गुजरते थे। सायरन की आवाज धड़कनें बढ़ा देती थीं। खारकीव और कीव के हालातों की खबरें न्यूज चैनलों पर देख दिल दहल जाता था। रूसी सीमा से इवानो-फ्रन्कीव्स्क शहर विपरीत पश्चिमी छोर पर होने के कारण यहां हालात नहीं बिगड़े थे। फिर भी डर लगा रहता कि कोई मिसाइल न गिर जाए। लगातार चेतावनी दी जा रही थीं।
बार्डर पर ढकेल रहे थे सैनिक
नेयम बताती हैं कि 25 फरवरी की सुबह 11 बजे रोमानिया बार्डर के लिए रवाना हुए थे। बार्डर पर काफी भीड़ थी। कड़ाके की सर्दी में 16 घंटे बार्डर के बाहर खड़े रहे। यूक्रेन के सैनिक सभी को धकेल रहे थे। राेमानिया में प्रवेश की अनुमति मिलने पर सभी को पैदल ही रवाना किया। 10 किमी पैदल चलकर बार्डर पार किया। भीड़ इतनी थी कि 17 घंटे लग गए। नेयम बताती हैं कि एमबीबीएस के पहले साल ही कुछ दिनों के लिए घर आई थी। कभी सोचा नहीं था कि इन हालातों में लौटाना होगा।