जानिए यूक्रेन के किस नियम के चलते युद्ध शुरू होने के बाद भी देश नहीं लौट सके थे छात्र, क्‍यों हुईं इतनी दुश्‍वारियां

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RGAन्यूज़

Ukraine News रूस के हमले के बाद भी यूक्रेन में छात्रों की कक्षाएं चल रही थीं। यूक्रेन मेंं कालेजों में छात्रों की 100 फीसद उपस्थिति का नियम है। ऐसा न करने पर काफी महंगा फाइन देना पड़ता है। इसी कारण युद्ध शुरू होने के बाद भी छात्र नहीं 

रोमानिया बार्डर पर छात्रों को लंबी लाइन लगानी 

बदायूंं, । यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई भारत के निजी कालेजों से सस्ती तो है, लेकिन 100 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। ऐसा न करने पर मोटा जुर्माना लगाया जाता है। यही वजह है कि 24 फरवरी को जब रूस ने हमला कर दिया था, तब भी एमबीबीएस की कक्षाएं चलती रहीं। 2017 से यूक्रेन के ओडीसा नेशनल मेडीकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे बदायूं के सहसवान निवासी छात्र शादाब ने शुक्रवार सुबह सकुशल वापस घर पहुंचने पर बताई। हर तरफ बरसते जानलेवा बम-बारूद के बीच से बचकर घर लौटे छात्र के स्वजन में खुशी का माहौल है। इसके लिए वह लोग ऊपर वाले का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। साथ ही भारतीयों को यूक्रेन से वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना भी कर रहे हैं।

नगर के मुहल्ला नवादा में स्वजन के बीच बैठे छात्र शादाब ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह यूनिवर्सिटी के पास ही एक अपार्टमेंट में हरियाणा निवासी अपने दोस्त योगेश शर्मा के साथ किराए पर रहते हैं। 24 फरवरी की सुबह करीब पौने पांच बजे उनकी आंख एक तेज आवाज धमाके के साथ खुली। कमरे में रखा सामान व खिड़की दरवाजे हिल रहे थे। उन्होंने तुरंत अपने अन्य साथियों से फोन पर बात की तब पता चला कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। यह आवाज उनके अपार्टमेंट से करीब दो किमी दूर फटे बम की है। कुछ ही देर में आसपास के लोग भी एकत्र हो गए। शादाब समेत सभी लोग इमारत के बेसमेंट में चले गए। यूनिवर्सिटी से संपर्क किया तो उन्होंने क्लास जारी रहने की बात कही। 25 को भी क्लास अटेंड की, लेकिन 26 को नहीं गए। 27 फरवरी को यूनिवर्सिटी ने ही क्लास अटेंड करने को मना कर दिया।

आपस में संपर्क कर 50 भारतीय छात्रों ने इकट्ठा हो कर छह हजार डालर में रोमानिया के सीराथ बार्डर के लिए बस किराए पर की और निकल पड़े। बार्डर पर 14 किमी लंबी लाइनें लगी थीं। इसके चलते बस ने बार्डर से 14 किमी पहले छोड़ दिया। यहां से पैदल चल कर बार्डर तक पहुंचने में तकरीबन 24 घंटे का वक्त लगा। जो साथी बैग आदि सामान साथ लेकर चले थे उन्होंने थकान के कारण सामान रास्ते में ही फेंक दिया। यहां भी भारी भीड़ थी। कागजी खानापूरी में करीब 18 घंटे खड़े रहना पड़ा। थकान इतनी कि खड़े-खड़े नींद आ रही थी। बार्डर से 28 फरवरी की सुबह रोमानिया की बसों ने पुलिस सुरक्षा के साथ बूचारेस्ट के इंडोर स्पोर्ट्स स्टेडियम तक पहुंचाया। वहां के मेयर ने सभी से मुलाकात की और सहायता उपलब्ध कराई। दो मार्च की रात में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री ज्योतिर्र्दित्य सिंधिया ने वहां पहुंच कर उनसे मुलाकात की। तीन मार्च की सुबह सात बजे वहां से निकले और 12 बजे (भारतीय समयानुसार शाम चार बजे) दिल्ली के लिए उड़ान भरी। रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुंचे। यहां से पिता डा. आस मोहम्मद और स्वजन के साथ सुबह पांच बजे अपने घर पहुंचे। शादाब के घर पर उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। शादाब यूक्रेन के भयावह हालातों और रास्ते में हुई दुश्वारियों को बयां करते हुए सिहर उ

दो सेमेस्टर और क्राक अभी बाकी: एमबीबीएस छात्र शादाब की अभी दो सेमेस्टर की पढ़ाई और एक साल की क्राक बाकी रह गई है। अभी तो वहां से निकलना जरूरी था। वह कहते हैं कि हजारों छात्रों का भविष्य जुड़ा हुआ है। अब हालात सामान्य होने के बाद ही कुछ हाे सकेगा।

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