अडिग इरादों का अचूक निशाना, दिव्यांग निशानेबाज सोनिया शर्मा ने स्वर्ण पदक जीतकर खुद को किया साबित

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RGAन्यूज़

Women Day दिव्यांग निशानेबाज सोनिया शर्मा ने विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर स्वयं को साबित किया था। सोनिया शर्मा ने कभी भी दिव्यांगता को सामने नहीं आने दिया। अपनी लगन और हिम्मत से उन्होंने बुलंदी हासिल की

निशानेबाज सोनिया शर्मा ने जीता था विश्व चैंपियनशिप में सोने का पदक।

 आगरा। ताजनगरी की सोनिया शर्मा का जीवन संघर्ष और हौसले का जीवंत दस्तावेज है। अडिग इरादे और बुलंद हौसले ने उन्हें खास बना दिया। निशानेबाजी में बेहतरीन बनने का सपना साकार करने में उन्होंने दिव्यांगता को कभी बाधा नहीं बनने दिया। दर्द और हाथ से बहता खून भी उन्हें लक्ष्य से डिगा नहीं सका। विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पर निशाना साधा। 

एकलव्य स्टेडियम में शूटिंग रेंज में अभ्यास करने ल

बल्केश्वर निवासी सोनिया जन्मजात दिव्यांग से हैं। उनका दायां हाथ अविकसित है, मगर हौसला उससे भी अधिक भी मजबूत। सोनिया बताती हैं कि जब वह 10वीं कक्षा की छात्रा थीं, तब सेंट एंड्रूज स्कूल में समर कैंप लगा। इसमें उन्होंने शौकिया तौर पर निशानेबाजी की तो निशाने सही लगे। एनसीसी आफिसर व कोच आलोक वैष्णव ने उन्हें प्रोत्साहित किया। वो कहती हैं कि मुश्किल यह थी कि राइफल चलाने को दूसरे हाथ की जरूरत होती है। अकेले बाएं हाथ से वह राइफल को साध नहीं पाती थीं। असहनीय दर्द होने के साथ हाथ से खून तक निकल आता था। वह बिना रुके या विकल्प तलाशें निरंतर अभ्यास करती रहीं। पिता स्व. ठाकुरदास और मां जनक शर्मा ने भी हौसला बढ़ाया। वर्ष 2013 में एकलव्य स्टेडियम में शूटिंग रेंज में अभ्यास कर

स्वर्ण पदक जीतकर स्वयं के सपने को सच कर दिखाया

कोच विक्रांत तोमर की सलाह पर उन्होंने राइफल को छोड़कर पिस्टल पकड़ ली। पिस्टल शूटिंग में उन्हें मंजिल मिली। वर्ष 2017 में थाईलैंड में हुई पैरा विश्व चैंपियनशिप के 10 मीटर पिस्टल शूटिंग के टीम इवेंट में सोनिया ने स्वर्ण पदक जीतकर स्वयं के सपने को सच कर दिखाया। पिछले वर्ष नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में भी उन्होंने रजत पदक जीता। आज वह असंख्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं

सोनिया ने कहा कि सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि लोग हिम्मत नहीं हारें। जिस बारे में सोचते हैं, उसे जरूर करें, आपको पता नहीं होता है कि आप कितने आगे तक जा सकते हैं। स्टेप-बाइ-स्टेप आगे बढ़ें और फर्स्ट स्टेप जरूर उठाएं।

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