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UP Assembly Election 2022 सियासत से लेकर पार्टी तक दखल रखने वाले नेता हमेशा ही परिणाम को प्रभावित करते है।य
UP Election 2022 : विधानसभा चुनाव के वाे पांच चेहरे, जिनसे बदलेगा सियासी समीकरणों का परिण
बरेली, : यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 के सातवें चरण का मतदान संपन्न हो गया है। यूपी के इस चुनाव में कुछ सियासी चेहरे चर्चाओं में बने रहे।उन सियासी चेहरों से सियासत का समीकरण बदलेगा।इन सियासी चेहरों की गतिविधियां सियासी समीकरणों पर कितना प्रभाव डालेंगी इस बात का पता तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा।लेकिन सुर्खियों में बने रहे ये चेहरे पार्टी और सियासत में अंदरखाने तक दखल रखते है।आइए जानते बरेली मंडल के उन चेहरों के बारे में जो सियासत में ऐसी
हम बात करते है बरेली मंडल के बदायूं के विधानसभा क्षेत्र की।जहां से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य है।जो सियासत के बडे़ चेहरों में शुमार स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री है।पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के विधानसभा चुनाव में पार्टी छोड़ने और समाजवादी पार्टी के ज्वाइन करने के बाद भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य का नाम तेजी से छाया।फेसबुक पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देने वाली संघमित्रा मौर्य ने पिता और पार्टी को लेकर अपने इरादे जता दिए थे।लेकिन विधानसभा चुनाव के छठे चरण के पहले कुशीनगर में हुए स्वामी प्रसाद मौर्य के काफिले में हमले के बाद सांसद पुत्री संघमित्रा मौर्य ने तीखी टिप्पणी के साथ बदायूं के भा
वहीं दूसरा नाम भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल का है। जिनका बरेली कैंट विधानसभा सीट से टिकट कटा था।कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ चुके राजेश अग्रवाल का कद पार्टी में काफी ऊंचा था। लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट कटने और अंदरूनी सियासत के सामने आने के बाद इसका असर इस सीट पर कितना होगा।इस बात का पता चुनाव परिणाम आने के बाद ही लग सकेगा।वहीं बिथरी चैनपुर से विधायक राजेश कुमार मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल का भी टिकट कटा था।जिसके बाद ये विधानसभा क्षेत्र भी सुर्खियों में आया था।हालांकि इस सीट पर सियासत का क्या असर दिख
शाहजहांपुर में पार्टी के दो बडे़ चेहरे है पहला चेहरा वित्तमंत्री सुरेश खन्ना के रूप में है।जिनकी क्षेत्र में खासी दखल है।सियासत और पार्टी में भी अच्छा रसूख रहने वाले सुरेश खन्ना ने मोदी की जनसभा में भीड़ जुटाकर उनका विश्वास जीता था।सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उनके और जतिन प्रसाद के ऊपर जिम्मेदारी सौंपी थी।जिसको बखूबी निभाया था।अब परिणाम के बाद तस्वीर साफ हो सकेगी।इसके साथ ही क्षेत्र के सियासी समीकरणों को कितना प्रभावित किया है।
पीलीभीत सांसद वरूण गांधी को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। पूरे विधानसभा चुनाव भर वह इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहे।ट्विटर पर किसानों के मुददों से लेकर रोजगार तक, टीईटी से लेकर विजय माल्या तक मामला कोई भी हो अपने तीखे सवालों और पोस्ट के जरिए सुर्खियों में लगातार बने रहे।उनकी इंटरनेट मीडिया पर यह सक्रियता सियासत को किस हद तक प्रभावित करेगी। इस बात का पता तो परिणाम आने के बाद ही चल सकेगा।