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EX Minister Ramveer Upadhyay यूपी की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले भाजपा प्रत्याशी रामवीर उपाध्याय को इस बार उनके अपनों ने ही धोखा दे दिया। जिनके लिए रामवीर ने बहुत कुछ वे इस बार बीमारी में उनका साथ छोड़ गए। मगर रामवीर हिम्मत हारने वालों में से
भाजपा प्रत्याशी रामवीर उपाध्याय की हार के बाद पार्टी के नेता मंथन में जुटे हैं।
हाथरस, । उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम स्थान रखने वाले भाजपा प्रत्याशी रामवीर उपाध्याय को इस बार उनके अपनों ने ही धोखा दे दिया। जिनके लिए रामवीर ने बहुत कुछ वे इस बार बीमारी में उनका साथ छोड़ गए। मगर रामवीर हिम्मत हारने वालों में से नही
रामवीर ने किया हार पर मंथन शुरू
सादाबाद सीट पर भाजपा प्रत्याशी रामवीर उपाध्याय की हार के बाद पार्टी के नेता मंथन में जुटे हैं। बीमार होने के कारण प्रचार में नहीं जा पाने का खामियाजा रामवीर को उठाना पड़ा है। मुरसान और सहपऊ ब्लाक में रामवीर की बढ़त अपेक्षा से बहुत कम रह गई। वर्ष 2017 के चुनाव में दोनों ब्लाकों से रामवीर ने करीब 26 हजार मतों की बढ़त बनाई थी, जो कि इस बार सिमटकर महज 2800 के करीब रह गई। यही रामवीर के विजयरथ थमने की प्रमुख वजह मानी जा रही है।
हाथरस जनपद की सादाबाद विधानसभा हाट सीट थी। यहां के चुनाव परिणाम पर प्रदेश भर के लोगों की नजर थी। क्योंकि यहां पूर्व मंत्री और पांच बार से लगातार विधायक रामवीर उपाध्याय मैदान में थे। पिछली बार सादाबाद सीट पर बसपा से विधायक बने रामवीर कुछ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। उन्हें पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। रामवीर ने इस चुनाव में अपने राजनीतिक जीवन के सर्वाधिक 98437 मत हासिल किए लेकिन जीत नहीं सके। रालोद गठबंधन प्रत्याशी प्रदीप चौधरी ने 104874 मत पाकर रामवीर के विजयरथ को रोक दिया। उन्होंने 6437 मतों से जीत दर्ज की। सादाबाद सीट के अंतर्गत तीन ब्लाक मुरसान, सादाबाद और सहपऊ आते हैं। मुरसान ब्लाक में ही रामवीर का गांव बामौली है। वर्ष 2017 में उन्होंने बसपा की टिकट पर मुरसान ब्लाक से करीब साढ़े 12 हजार वोटों की बढ़त बनाई थी, जबकि इस बार महज 1865 की ही लीड ले सके। रामवीर को 24783 और रालोद के प्रदीप चौधरी को 22918 को मत मिले। वहीं सहपऊ में वर्ष 2017 में रामवीर को साढ़े 13 हजार वोटों की बढ़त थी जो कि इस बार महज 928 पर सिमट गई। रामवीर को 28166 और प्रदीप कुमार को 27238 मत मिले हैं।
जाटलैंड में रालोद ने दिखाया दम
सादाबाद की सुसाइन, धानौटी, करसौरा, बिसावर, पचावरी, बिलारा, भुर्रका, कुरसंडा, तसींगा, चिरावली, कजरौठी, मीरपुर, समदपुर, नौगांव, मई आदि 37 ग्राम पंचायतें जाट बहुल्य हैं। यहां रालोद पर खूब मतवर्षा हुई। रालोद प्रत्याशी को 37339 वोट मिले, वहीं भाजपा प्रत्याशी भी पीछे नहीं रहे और 25421 मत पाए। सादाबाद ब्लाक के अन्य गांवों और नगरीय क्षेत्र को मिलाकर रालोद को कुल 53883 और रामवीर उपाध्याय को 44786 वोट मिले हैं। प्रदीप चौधरी ने 9097 की बढ़त बनाई जो कि जीत का कारण बनीं। सादाबाद के नगरीय क्षेत्र में रामवीर को वोट कम मिले हैं। उनके धुर विरोधी सपा नेता देवेंद्र अग्रवाल सजातीय वोटों को रालोद के पाले में डलवाने में कामयाब रहे
बसपा के कैडर वोट का बिखराव, रालोद का फायदा
रामवीर के अलग होने से जहां पूरे जनपद में बसपा को बड़ा नुकसान हुआ, वहीं रामवीर को हराने में भी बसपा की अहम भूमिका रही है। सादाबाद में बसपा से रामवीर के विरोधी डा. अविन शर्मा प्रत्याशी थे। उन्हें 32555 मत मिले। अविन शर्मा का गांव कोरना चमरुआ भी मुरसान ब्लाक में है। इस ब्लाक से डा. अविन को 11420 वोट हासिल किए। जानकारों की मानें तो यह आंकड़ा बसपा का कैडर वोट और सजातीय दोनों को मिलाकर है। वहीं सादाबाद में उन्हें 12800 वोट मिले हैं। सहपऊ में बसपा के कैडर वोट अनुसूचित जाति के करीब 18 हजार मतदाता हैं। यहां अविन शर्मा को 8226 मत ही मिले हैं। सहपऊ के अनुसूचित जाति बहुल्य आरती, मांगरू, बहरदोई समेत कई गांवों में रालोद गठबंधन ने अ'छे खासे मत पाए हैं। माना जा रहा है कि बसपा का कैडर वोट रालोद की तरफ शिफट हो गया। इसके पीछे सपा के वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन का प्रभाव माना जा रहा है। रामजी लाल सुमन का गांव बहदरोई भी सहपऊ ब्लाक में
ये हैं रामवीर की हार के पांच कारण
1- बीमारी बनी मुख्य कारण
2- मुरसान में मिले कम वोट,
3- सहपऊ में कम बढ़त,
4- रामवीर उपाध्याय नहीं कर सके प्रचार,
5- मुरसान में रामवीर को अपनों ने ही दि