शोध छात्रा हत्याकांड: नौ साल-42 गवाही, इंसाफ के लिए अब भी इंतजार, सनसनीखेज हत्या जिसने हिला दिया था पूरा आगरा

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RGAन्यूज़

Murder In Agra आगरा के दयालबाग क्षेत्र में नौ साल पहले हुई हत्या के आरोपित अभी जेल में हैं इस हत्याकांड में अबतक 42 गवाहों की गवाही हो चुकी है। बचाव पक्ष मामले को लटकाने को अपना रहा अलग-अलग हथक

आगरा में शोध छात्रा हत्याकांड में अभी इंसाफ मांग रहा है परिवा

आगरा। शोध छात्रा हत्याकांड में नौ वर्ष बाद भी स्वजन को इंसाफ का इंतजार है। आरोपित अभी जेल में है। अदालत में ट्रायल चल रहा है। मगर, आरोपित पक्ष केस में देरी करने को सभी संभव हथकंडे अपना रहा है।अभी तक अदालत में 42 गवाहों की गवाही हो चुकी है। अभियोजन पक्ष अभी दस गवाहों की गवाही और करा सकता है। इसके बाद बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही होगी। इसलिए अभी पीड़ित परिवार को न्याय के लिए और इंतजार करना पड़े

पुलिस ने उदयस्वरूप को गिरफ्तार कर जेल भेजा

दयालबाग शिक्षण संस्थान की नैनो बायो टेक्नोलाजी लैब में 15 मार्च 2013 को शोध छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।हत्या के आरोप में पुलिस ने उदयस्वरूप को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में मामले की जांच सीबीआइ ने की। मजबूत साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपित के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। अब केस की सुनवाई एडीजे प्रथम की अदालत में चल रही है।शोध छात्राके पिता ने बताया कि मामले में अब तक 42 गवाहों की गवाही हो चुकी है। इसमें छात्रा के स्वजन के साथ संस्थान के कुछ लोग, सीबीआइ, पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सक, फोरेंसिक लैब में जांच करने वाले वैज्ञानिक भी शामिल हैं। केस की अगली तारीख 22 मार्च को 

कमजोर न पड़ें, इसलिए समय पर गौर नहीं करते

शोध छात्रा के पिता का कहना है कि अदालत पर उन्हें पूरा भरोसा है। कोरोना संक्रमण काल में भी अदालत में सुनवाई चलती रही। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही सुनवाई कुछ दिन के लिए बंद हुई, इसके बाद फिर से चालू हो गई। बचाव पक्ष ने रोड़ा लगाने की कई बार कोशिश की थी। मगर, सफलता नहीं मिली। उनकी ओर से केस को अधिक समय तक चलाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कई बार उन पर द

मगर, वे कमजोर नहीं पकड़ेंगे। इसीलिए यह भी नहीं सोचते कि केस को कितना समय हो गया है। पिता ने बताया कि जब भी वह तारीख पर आने के लिए घर से निकलते हैं। बेटी सपनों में आती है, अपने लिए इंसाफ मांगती है। वह जो भी कमाते हैं वह केस के सिलसिले में भागदौड़ में खर्च हो जाता है। उनकी उम्र भी साठ साल से अधिक हो गई है। मगर, बेटी जब भी उनके सपने में आकर इंसाफ मांगती है, उनकी हिम्मत बढ़ा जाती है। उन्होंने कसम खाई है कि बेटी को जब तक इंसाफ नहीं दिला लेंगे, चैन से नहीं बैठेंगे।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

आरोपित पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करके दुष्कर्म के चार्ज पर पुर्नविचार करने को आग्रह किया था। हाईकोर्ट ने इसके आधार पर न्यायालय को दोबारा विचार करने को कहा था।इसके बाद छात्रा के पिता सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप पर सुनवाई जारी रखने के आदेश दिए।सुप्रीम कोर्ट ने हत्याकांड को लेकर टिप्पणी भी की 

कब क्या हुआ

- 15 मार्च 2013: डीईआइ की नैनो बायो टेक्नोलाजी लैब में 24 वर्षीय शोध छात्रा की हत्या। कार खेलगांव के पास मिली थी।

17 मार्च: पुलिस ने लैब के पास से शोध छात्रा का लैपटाप बरामद किया।

18 मार्च: डीईआइ परिसर की झाड़ियों में छात्रा का मोबाइल बरामद, सिम और मेमोरी कार्ड गायब था।

22 अप्रैल 2013: पुलिस ने हत्याकांड के मामले में डीईआइ के छात्र उदय स्वरूप और लैब टेकनीशियन यशवीर संधू को जेल भेजा।

18 जुलाई 2013: पुलिस ने उदय स्वरूप और यशवीर संधू के खिलाफ अारोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया। हत्या का कारण दुष्कर्म का प्रयास बताया। यशवीर संधू पर साक्ष्यों को नष्ट करने का आरोप था।

22 जुलाई: राज्य सरकार की संस्तुति पर मुकदमा सीबीआइ को स्थानांतरित किया गया।

19 फरवरी 2014: दोनों आरोपित उच्च न्यायालय से जमानत पर जेल से बाहर आए।

5 जनवरी 2016: सीबीआइ ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें उदय स्वरूप को हत्या, दुष्कर्म और साक्ष्य नष्ट करने का आरोपित बनाया। यशवीर संधू को आरोपित नहीं बनाया गया

22 मई 2016: उदय स्वरूप को दोबारा जेल भेजा गया। आरोपित अभी भी जेल में निरुद्ध है।

- दो मई 2018 : प्रदेश सरकार ने केस में प्रभावी पैरवी के लिए पूर्व डीजीसी अशोक कुमार गुप्ता को स्वतंत्र लोक अभियोजक नियु

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