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खाने की हर चीज़ में रसायन का प्रयोग किया जा रहा है जिसकी वजह से लोगों में तमाम तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं। इससे बचने के लिए कृषि अधिकारी इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से किसानों ये सलाह को दे रहे हैं। आइए जानते ह
खाद्य पदार्थों में रसायन शरीर को पहुंचा रहे नुकसान
अलीगढ़। खाद्य पदार्थों के जरिए जहरीले रसायन मानव शरीर में पहुंच रहे हैं। इसी चलते तमाम बीमारियां लगती हैं। फसलों में रसायनों के कम प्रयोग और जैविक खेती इस समस्या का एक मात्र हल है। ये सलाह कृषि अधिकारी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किसानों को दे रहे हैं। फेसबुक और वाट्सग्रुप पर बेहतर और कम लागत की खेती की सलाह भी दी जा रह
कृषि अधिकारी डा. रागिब अली बताते हैं कि हमें हर रोज जिंदा रहने के लिए दिन में कम से कम दो बार शुद्ध भोजन, 10-12 बार पीने के लिए शुद्ध पानी और 21,000 बार सांस लेने के लिए शुद्ध हवा की आवश्यकता होती है। यह भोजन, हवा और पानी हमें परोक्ष या अपरोक्ष रूप से खेती और प्रकृति से ही मिलता ह
खेतों में खाद के रूप में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। वहीं, फसलों में लगने वाले कीटों की रोकथाम के लिए कीटनाशी, रोगों की रोकथाम के लिए फफूंदीनाशी और खरपतवारों की रोकथाम के लिए खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
बढ़ रही लागत, उत्पादन हो
असंतुलित उर्वरकों और फसल सुरक्षा रसायनों का बिना सोचे-समझे बेतहाशा प्रयोग करने से फसल की उत्पादन लागत लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन पैदावार नहीं बढ़ रही। बल्कि जो पैदावार होती है, वह भी रसायन युक्त होती है। जिसके खाने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां शरीर में घर कर जाती हैं। इससे मानव स्वास्थ्य ही खराब नहीं हो रहा, बल्कि मिट्टी का स्वास्थ्य, पशुओं का स्वास्थ्य और पर्यावरण का स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है
भोजन में स्वाद ख़त्म
प्राकृतिक संसाधन धीरे-धीरे क्षीण होते जा रहे हैं। संपूर्ण जैव विविधता भी नष्ट हो रही है। जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है और भोजन में स्वाद नहीं बचा। ये हानिकारक रसायन हमारे शरीर में फल, सब्जी, दूध, अंडा, मांस, मछली और अन्य दूसरे खाद्य पदार्थ खाने से और दूषित पानी पीने के माध्यम से जमा हो रहे हैं। वहीं, पशुओं के शरीर में चारे के माध्यम से पहुंच रहे हैं। परंपरागत खेती (जैविक खेती) कर किसान कम लागत में फसल उत्पादन कर सकते हैं। रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं हो
कृषि अधिकारी ने बताया कि किसान अब जागरूक हो रहे हैं। जनपद में ऐसे कई किसान हैं, जो जैविक खेती कर रहे हैं। समय-समय पर आयोजित गोष्ठियों में किसानों को जैविक खेती के गुर बताए जात