रामपुर में फिर लहराया भाजपा का परचम

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RGAन्यूज़ ब्यूरो चीफ सुनील यादव लखनऊ

लखनऊ : रामपुर में भाजपा जीत गई? आजम खां के रामपुर में सपा हार गई? लोकसभा उपचुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद यह सबसे बड़ी सनसनी थी, सबसे बड़ा आश्चर्य और सबसे बड़ा प्रश्न भी था। जो भी इसका कारण टटोलने चला, अगले ही पल उसका सामना एक और बड़े प्रश्न से हुआ, जहां लगभग 55 प्रतिशत की मुस्लिम आबादी ही हार-जीत तय करती है, वहां कैसे भाजपा जीत गई?

बस, इसका जो जवाब है, वही सपा की रामपुर और आजमगढ़ सीट पर हार की कहानी है। इस चुनाव ने आजम और सपा मुखिया अखिलेश यादव को आईना दिखा दिया है कि मुसलमान अब उनकी मुट्ठी में नहीं है। आजमगढ़ में विकल्प मिला तो बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधायक बनने से आजमगढ़ और पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां के विधानसभा चुनाव जीतने से रामपुर लोकसभा सीट रिक्त हुई। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के हिस्से में रही इन सीटों पर उपचुनाव में भाजपा की नजर थी और उसने दमखम से चुनाव लड़ा भी। रामपुर से पूर्व एमएलसी घनश्याम लोधी को लड़ाया और आजमगढ़ से भोजपुरी कलाकार व अखिलेश के खिलाफ 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' पर दांव लगाया।

अखिलेश ने आजमगढ़ से अपने भाई धर्मेंद्र यादव को उतारा, जबकि रामपुर में आजम की चली और उन्होंने अपने करीबी आसिम राजा को प्रत्याशी बनाया। बसपा ने पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार दिया। सपा को वाकओवर देने के लिए कांग्रेस ने चुनाव ही नहीं लड़ा। इस तरह समीकरण यह बनते दिख रहे थे कि सपा ही यहां फिर जीतेगी, क्योंकि दोनों सीटों पर निर्णायक भूमिका में वही मुस्लिम-यादव गठजोड़ निर्णायक भूमिका में था, जो समाजवादी पार्टी का मूल आधार माना जाता है।

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