पूरे अगस्त माह धधकी आजादी की आग, स्टेशन पर फटे बम ने उड़ा दिए अंग्रेजों के होश

Praveen Upadhayay's picture

RGAन्यूज़ 

Quit India Movement in Aligarh अगस्त क्रांति के दौरान पूरे माह छोटी-छोटी घटनाएं होती रहीं लेकिन सबसे बड़ा धमाका 24 सितंबर 1942 को हुआ। इस दिन क्रांतिकारी देव दत्त कलंकी ने रेलवे स्टेशन पर शक्तिशाली बम धमाका कर अंग्रेजों होश उड

अलीगढ़,  अगस्त को स्वतंत्रता सेनानियों पर हुई फायरिंग के बाद 12 अगस्त तक सबकुछ शांत हो चुका था। अधिकांश नेताओं की गिरफ्तारी हो चुकी थी। जो बचे थे उन्हें तलाशने में अंग्रेजी सैनिक लग गए। इसलिए सभी भूमिगत हो गए।

शहर में सन्नाटा ही सन्नाटा था, लेकिन सभी के मन में एक आग धधक रही थी। वो आग थी देश को आजाद दिलाने की। क्रांतिकारी उस मौके की तलाश में जुट गए जिसमें अंग्रेजों को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जा सके

पूरे अगस्त माह में छोटी-छोटी घटनाएं होती रहीं, लेकिन सबसे बड़ा धमाका 24 सितंबर 1942 को हुआ। इस दिन क्रांतिकारी देव दत्त कलंकी ने रेलवे स्टेशन पर शक्तिशाली बम धमाका कर अंग्रेजों होश उड़ा दिए।

प्रख्यात इतिहासकार व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमरेटस प्रो. इरफान हबीब बताते हैं कि अगस्त क्रांति (August Movement) के दौरान अलीगढ़ में यूं तो बहुत घटनाएं हुईं लेकिन स्टेशन बम धमाका कांड सबसे चर्चित रहा। अंग्रेजों को इस कांड ने हिला कर रख दि

गांधी जी ने करो या मरो का नारा देकर क्रांतिकारियों में जोश भरने का काम किया था। अरुणा आसफ अली उन्हीं दिनों अलीगढ़ आईं। उनकी प्रेरणा से तोड़फोड़ करने के लिए युवकों ने क्रांतिकारी दल का गठन किया। इसमें देवदत्त कलंकी, किशनलाल, कैलाश चंद गांधी, मदनलाल हितैशी आदि प्रमुख थे। शहर में क्रांति के पर्चे बांटे गए।

स्वतंत्रा सेनानी चिंतामणि शुक्ल ने अपनी पुस्तक अलीगढ़ जनपद का राजनीतिक इतिहास में लिखा है कि विदेशी शासन की पुलिस इन गोपनीय क्रांतिकारी गतिविधियों से बड़ी परेशान और चिंतित थ

रेलवे स्टेशन पर बम फोड़ने की जिम्मेदारी देवदत्त कलंकी ने ली। उन्होंने गोरा मिल्ट्री ट्रेन को उड़ाने के लिए शक्तिशाली बम रेलवे स्टेशन पर बम छिपा दिया। 24 सितंबर को यह बम ट्रेन आने से पहले ही फट गया, जिसमें छह लोगों की जानें गईं।

इस घटना से प्रशासन हिल गया और पुलिस बौखला गई। पुलिस ने शहर में तेजी से दमन चक्र चलाया। जिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर जरा भी शक था उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जो लोग गिरफ्तार कर लिए उन्हें एक साथ एक कमरे में आठ दिन तक बंद रखा। पूछताछ के दौरान अमानवीय 

सबसे अधिक गिरफ्तारी

1942 के आंदोलन में सबसे अधिक गिरफ्तारी बम धमाके के बाद हुईं। इनमें प. भीमसेन जमुना प्रसाद वैद्य, भीमसेन शर्मा, मदनलाल हितैषी, सत्यमूर्ति किशनलाल, दुर्गा प्रसाद कौशिक, प. रामचंद्र गौड़, पन्नालाल, रूप किशोर, महेंद्र सिंह, कैलाशचंद, सत्यदेव, रामलाल गौड़, मोतीलाल आर्य और जमुना प्रसाद वैद्य समेत 22 लोगों को गिरफ्तार कर आगरा सेंट्रल जेल भेज दिया। यातनाएं दी गईं। अंग्रेजी हुकूमत बम कांड से इस कदर हिल गई थी कि इस आरोप में जो भी क्रांतिकारी पकड़े उनके परिवार वालों से एक साल तक मिलने नहीं दिय

भूमिगत हुए कलंकी, गुजरात में छिपे किशनलाल

बम धमाका करने वाले क्रांतिकारियों के हीरो देवदत्त कलंकी अंग्रेजों से बचकर भूमिगत हो गए। जबकि, किशनलाल यहां से गुजरात चले गए। वहां भी युवाओं के साथ संगठन बनाया और क्रांति का अ

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.