प्रयागराज आएं तो तीन पार्क जरूर देखें, इतिहास व धर्म की ताजा होंगी यादें

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RGAन्यूज़

Prayagraj Tourism Guide प्रयागराज के आजाद पार्क में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का शहादत स्‍थल है। मिंटो पार्क में अंग्रेजी हुकूमत से संबंधित यादें हैं। वहीं भरद्वाज पार्क में श्रीराम से जुड़ी यादें हैं। वनवास जाते समय यहां महर्षि भरद्वाज से श्रीराम मां सीता व लक्ष्‍मण ने मुलाकात की थी।

Prayagraj Tourism Guide: प्रयागराज में भरद्वाज पार्क, आजाद पार्क व मदन मोहन मालवीय पार्क प्रसिद्ध है

प्रयागराज, । Prayagraj Tourism Guide छुट्टियों में परिवार के साथ प्रयागराज घूमने का प्‍लान बना रहे हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्‍य सरस्‍वती का संगम और आनंद भवन तो सभी जानते होंगे, यहां आ भी चुके हाेंगे लेकिन इससे इतर भी तीन ऐसे पार्क हैं जहां जाकर आपको ऐतिहासिक और धार्मिक यादें ताजा करने का मौका मिलेगा।

तीन पार्कों की विशेषता : प्रयागराज शहर में आजाद पार्क (पुराना कंपनी बाग), मिंटो पार्क और भरद्वाज पार्क सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। आजाद पार्क में आजादी के महानायक चंद्रशेखर का शहादत स्‍थल है। मिंटो पार्क में प्राचीन अशोक की लाट के साथ अंग्रेजी हुकूमत से संबंधित यादें हैं। वहीं भरद्वाज पार्क में श्रीराम से जुड़ी यादें हैं। वनवास जाते समय यहां महर्षि भरद्वाज से श्रीराम, मां सीता व लक्ष्‍मण जी ने 

 

आजाद पार्क : अंग्रेजों से लड़ते हुए चंद्रशेखर आजाद वीरगति को प्राप्‍त हुए थे : ऐतिहासिक पार्क चंद्रशेखर आजाद पार्क सिविल लाइंस हनुमान मंदिर के निकट स्थित है। अतीत में इसे कंपनी बाग के नाम से जाना जाता था। यह पार्क बलिदानी अतीत की थाती भी संवारे है, देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा देता है। शहर के हृदय स्थल में फैली हरियाली यदि आंखों को सुकून देती है तो इससे जुड़ा इतिहास हमेशा रोमांचित करता है।

 

पार्क में है विक्टोरिया मेमोरियल : 133 एकड़ में फैले इस पार्क में विक्टोरिया मेमोरियल भी बनाया गया है। यह सफेद संगमरमर से निर्मित है। इसकी चमक आज भी धूमिल नहीं हुई है। यहीं पर अष्टकोणीय बैंड स्टैंड भी है। इतालवी संगमरमर की बनी स्मारिका के नीचे ही महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा हुआ करती थी, जिसे 1957 में हटा दिया गया

गाथिक शैली में बनी है पब्लिक लाइब्रेरी : पार्क में ही गाथिक शैली में एक और भवन है जो पब्लिक लाइब्रेरी कहलाता है। यहां ब्रिटिश युग के महत्वपूर्ण दस्तावेज संरक्षित हैं। नार्थ वेस्टर्न प्राविंसेज एंड अवध लेजिस्लेटिव कौंसिल की पहली बैठक आठ जनवरी 1887 को यहीं हुई थी। इसके बगल में 1931 में इलाहाबाद महापालिका की ओर से स्थापित संग्रहालय है। पं. जवाहरलाल नेहरू ने इसे 1948 में अपनी तमाम वस्तुए

अंग्रेजी हुकूमत का गवाह है मिंटो पार्क : अंग्रेजों के जमाने का मिंटो पार्क शहर में यह यमुना नदी के तट पर स्थित है। एक नवंबर 1858 को प्रयागराज से ही ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त करने की घोषणा हुई थी। इसी दिन ब्रिटिश सरकार ने प्रयागराज में एक शाही दरबार का आयोजन किया था। शाही दरबार में रानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र को पढ़ा गया। शाही दरबार के दौरान प्रयागराज एक दिन के लिए भारत की राजधानी बन गई थी। जिस स्थान पर शाही दरबार का आयोजन हुआ था, उसे 1910 में स्मारक स्थल बना दिया गया। तत्‍कालीन वाइसराय लार्ड मिंटो ने मेमोरियल बनाया। लार्ड मिंटो की वजह से इस स्थान का नाम मिंटो पार्क पड़ा। हालांकि अब इस पार्क का नाम बदलकर मदन मोहन मालवीय पार्क कर दिया गया है। यह पार्क किले के पास और यमुना तट पर ह

भरद्वाज आश्रम पार्क : श्रीराम की स्‍मृतियों को सजोए है यह पार्क : प्रयागराज शहर के कटरा इलाके में आनंद भवन के सामने महर्षि भरद्वाज का प्राचीन आश्रम स्थित है। पूर्व में आश्रम और अब पार्क का संबंध श्रीराम से जुड़ा है। अयोध्‍या से वनवास जाते समय श्रीराम, मां सीता व लक्ष्‍मण यहां आश्रम में आकर महर्षि भरद्वाज से मुलाकात की थी। यह पार्क पांच एकड़ में फैला है। वहीं दो एकड़ में मंदिर है। यहां भरद्वाजेश्वर महादेव, भरद्वाज मुनि, याज्ञवल्क्य, त्रिपुरारी महादेव, अत्रि मुनि, सती अनुसुइया, ब्रह्माजी, प्रभु श्रीराम, श्रीहनुमान सत्यनारायण, तुलसीदास, वाल्मीकि, काली माता के मंदिर हैं। यहां जरूर पहुंच

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