RGAन्यूज़ हरियाणा समाचार
हरियाणा के अंबाला में किसानों ने प्रदर्शन किया। किसानों ने सरकार का विरोध जताते हुए महापंचायत की। डीसी से बात करने पर अड़े रहे किसान बोले - पेमेंट न मिली तो पांच सितंबर को करेंगे डीसी कार्यालय का घेराव।
नारायणगढ़। शुगर मिल नारायणगढ़ की ओर किसानों की बकाया 59 करोड़ रुपये की पेमेंट लटकने पर वीरवार को मिल के सामने महापंचायत की। यह महापंचायत संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता सुरेश कोथ की अध्यक्षता में हुई। मौके पर एसडीएम बराड़ा, डीएसपी नारायणगढ़, तहसीलदार पहुंचे और किसानों को समझाने का प्रयास किया।
किसान डीसी से बात करने पर अड़े रहे, लेकिन डीसी के न पहुंचने पर तीन बजे किसानों ने नेशनल हाईवे नंबर 72 हिसार-देहरादून को जाम कर दिया। साथ ही चेतावनी दी कि यदि पांच सितंबर तक बकाया पेमेंट किसानों के खातों में न डाली गई, तो डीसी कार्यालय का घेराव करेंगे। इस दौरान किसानों ने प्रदेश सरकार का पुतला भी फूंका
किसानों की गन्ने की पेमेंट जो नारायणगढ़ शुगर मिले में 59 करोड रुपये बकाया पड़ी है। शुगर मिल प्रशासन ने 36 करोड़ के चेक किसानों को दिये हैं और 23 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसी को लेकर शुगर मिल प्रशासन व स्थानीय प्रशासन महज आश्वासन दे रहा है। अभी तक किसानों को यह पेमेंट नहीं मिली है। इसी को लेकर किसानों ने महापंचायत शुरू की और धीरे-धीरे किसानों की संख्या बढ़ गई।
मौके पर अधिकारी पहुंचे और किसानों से बातचीत शुरू कर दी। किसानों ने साफ कहा कि अभी तक महज आश्वासन ही मिले हैं, जबकि वे अब डीसी से ही बात करेंगे। शाम तीन बजे नहीं पहुंचे, तो किसानों ने नेशनल हाईवे नंबर 72 को जाम कर दिया। किसानों ने कहा कि 21 सदस्यीय कमेटी से बातचीत की जाएगी, नहीं तो डीसी कार्यलय का घेराव किया जाएगा। इस मौके पर संयुक्त मोर्चा के डा. दर्शनलाल, जगदीप, मंदीप नरवान, 21 सदस्यीय कमेटी के प्रधान ¨सगरा रछेड़ी, शहीद भगत सिंह किसान यूनियन के प्रधान अमरजीत मोहड़ी, जयसिंह जलबेड़ा, उपप्रधान गुरदेव बक्तुआ, धनराज लखनोरा, नरेंद्र डेहरी, विक्रम, धर्मबीर ढींढसा, नरेंद्र बक्शी, सतीश सेठी आदि मौजूद रहे।
किसानों की गन्ने की पेमेंट जो नारायणगढ़ शुगर मिले में 59 करोड रुपये बकाया पड़ी है। शुगर मिल प्रशासन ने 36 करोड़ के चेक किसानों को दिये हैं और 23 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसी को लेकर शुगर मिल प्रशासन व स्थानीय प्रशासन महज आश्वासन दे रहा है। अभी तक किसानों को यह पेमेंट नहीं मिली है। इसी को लेकर किसानों ने महापंचायत शुरू की और धीरे-धीरे किसानों की संख्या बढ़ गई।