![Praveen Upadhayay's picture Praveen Upadhayay's picture](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/styles/thumbnail/public/pictures/picture-4-1546617863.jpg?itok=SmNXTJXo)
![](https://bareilly.rganews.com/sites/bareilly.rganews.com/files/news/01_09_2022-rahul-gandhi-digvijay-singh_23032681.jpg)
RGAन्यूज़ मध्य प्रदेश समाचार
MP Politics एकता के गीत जरूर प्रत्येक बैठक में गाए जाते हैं पर अंत में एकला चलो की नीति पर ही उसके बड़े नेता चलते हैं जबकि भाजपा हर चुनाव के बाद अगले चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत से जुट जाती है।
मध्य प्रदेश:- कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही अपनी कार्यशैली को लेकर आलोचनाओं से घिरे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश कांग्रेस ने उनसे करिश्मे की उम्मीद लगा रखी है। निचले स्तर पर संगठन की कमजोरी से जूझती कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल नवंबर में अपने मध्य प्रदेश प्रवास के दौरान कार्यकर्ताओं में उत्साह भर देंगे। यही कारण है कि प्रदेश कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तैयारी में जुट गई है। चूंकि इस यात्रा के संयोजक पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हैं, इसलिए भी राज्य से इसे जोड़ने की तैयारी हो रही है। पार्टी को उम्मीद है कि राहुल 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के एजेंडे को जनता के बीच प्रभावी ढंग से रखकर माहौल बना देंगे
इस कोशिशों के बीच सच यह है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस चुनौती से जूझ रही है। यह चुनौती है जमीनी स्तर पर संगठन की कमजोरी। लगभग 15 साल के वनवास के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर जैसे-तैसे सत्ता में आ गई थी। सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने कमल नाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी, लेकिन लगभग सवा साल बाद ही आपसी लड़ाई में उनकी सरकार चली गई। मुख्यमंत्री रहते कमल नाथ ने प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी अपने पास बनाए रखा। सरकार और संगठन दोनों का मुखिया होने के बाद भी वह वैसा करिश्मा नहीं कर सके, जिसकी कांग्रेस को जरूरत थी। गुटों में बंटी कांग्रेस अक्सर अनिर्णय या अंतर्विरोध जूझती रही। सरकार जाने के बाद भी कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा पूर्ववत बना रहा। अब जबकि भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरी ताकत से जुट गई है तो कांग्रेस को जमीनी सच्चाई का अहसास होने लगा है। जिलों में संगठन की कमजोरियों को खुद कमल नाथ ने स्वीकार करते हुए नेताओं को चेतावनी दी है कि यदि वे पद पर रहते हुए निष्क्रिय बने रहे तो उनका कोई वजूद नहीं बचेगा। बेहतर होगा कि निष्क्रिय लोग खुद पद छोड़कर हट जाएं। उनकी इस साफगोई के बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस में जल्द ही निचले स्तर पर संगठनात्मक बदलाव के प्रयास शुरू किए जाएंगे। इसके साथ ही पार्टी को उम्मीद है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्र से प्रदेश कांग्रेस में नई जान आएगी और कार्यकर्ता पूरे जोश के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएंगे।