कमीशन नहीं दिया तो बिना बताए खत्म कर दिया अनुबंध, आ रहे कारनामे सामने

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RGAन्यूज़ संवाददाता आगरा

विज्ञापन एजेंसी ने लगाए प्रो. पाठक पर आरोप। कानपुर की एजेंसी को बिना टेंडर प्रक्रिया के दे दिया काम। एसटीएफ प्रो. विनय कुमार पाठक पर लगे आरोपों की जांच कर रही है। आगरा विवि से भी कई मामले सामने आ रहे हैं।

आगरा संवाददाता:- डा.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के कारनामे रोज सामने आ रहे हैं। कमीशन के कारण उनकी कार्यप्रणाली ने विश्वविद्यालय के नियमों को भी पीछे छोड़ दिया है। एक नया कारनामा विश्वविद्यालय की विज्ञापन एजेंसी का सामने आया है। सालों से विश्वविद्यालय के विज्ञापन का काम कर रही विज्ञापन एजेंसी का अनुबंध रातों-रात इसलिए खत्म कर दिया गया क्योंकि एजेंसी ने प्रो. पाठक के अनुसार उन्हें डिस्काउंट नहीं दिया और कमीशन नहीं दिया।विज्ञापन का काम कानपुर की एजेंसी को दे दिया गया।

दस साल से संभाल रही एजेंसी

विश्वविद्यालय में विज्ञापन का काम पिछले 10 साल से संभाल रही एजेंसी का आरोप है कि प्रो.पाठक ने उनसे कमीशन मांगा।कमीशन न देने पर बिना तीन महीने का नोटिस दिए अनुबंध इस साल जून में समाप्त कर दिया।एजेंसी द्वारा कई बार विश्वविद्यालय में संपर्क किया गया, लेकिन उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। वित्ताधिकारी से भी संपर्क करने की कोशिश की गई।

कुलसचिव कार्यालय से पता चला कि अनुबंध समाप्त कर दिया गया और कानपुर की एजेंसी को काम दे दिया गया है। अनुबंध समाप्त करने के बाद भी करोड़ों रुपये के बकाया थे, जिसमें से 30 प्रतिशत रकम काटने के बाद भुगतान किया गया। एजेंसी का आरोप है कि कानपुर की एजेंसी को बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के ही चुना गया है।

एसटीएफ के पास पहुंच रहीं गड़बड़ियों की शिकायतें

एसटीएफ के पास भी विज्ञापन में हुई गड़बड़ियों की शिकायत पहुंची है। शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन कानपुर की एजेंसी के माध्यम से प्रकाशित करवाया गया।विज्ञापन में करोड़ो रुपये खर्च किए गए। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल भी की गई है। आवासीय इकाई में प्रवेश के विज्ञापन के लिए वित्त समिति से पांच लाख रुपये इंटरनेट मीडिया पर प्रचार के लिए स्वीकृत हुए, लेकिन ढाई करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए गए। एसटीएफ विश्वविद्यालय से विज्ञापन की जानकारी मांग रही है। 

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