पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण को रोकने के लिए चलाएं जागरूकता अभियान

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RGAन्यूज़ बिहार दरभंगा

जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि अन्य जिलों की तुलना में दरभंगा जिला में पराली जलाने की घटना नगण्य है। पूर्व में किसी प्रखण्ड में पराली जलाने की घटना हुई हैलेकिन वर्तमान में सभी किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक निगरानी रख रहे हैं।

दरभंगा:- उप विकास आयुक्त अमृषा बैंस ने कहा है कि पराली जलाने उत्पन्न हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएंगे। लोगों को जागरूक किया जाए और इसपर निगरानी रखी जाए। वह सोमवार को अपने कार्यालय कक्ष में फसल अवशेष (पराली) जलाने से उत्पन्न प्रदूषण व मिट्टी उर्वरा क्षति को रोकने के लिए आयोजित बैठक में बोल रही थीं।

जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि अन्य जिलों की तुलना में दरभंगा जिला में पराली जलाने की घटना नगण्य है। पूर्व में किसी प्रखण्ड में पराली जलाने की घटना हुई है,लेकिन वर्तमान में सभी किसान सलाहकार एवं कृषि समन्वयक किसानों को जागरूक करते हुए इस पर निगरानी रख रहे हैं। उप विकास आयुक्त ने सरकार के निर्देश के अनुसार इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि एक टन पराली जलाने से तीन किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर व 199 किलोग्राम राख निकलता है। इसके साथ ही 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड एवं दो किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन होता है, जो मनुष्य के साथ-साथ जीव-जन्तु एवं पक्षियों के स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए अत्यधिक हानिकारक है। इसके साथ ही फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के पोषक तत्वों व कार्बनिक पदार्थों की क्षति होती है एवं मिट्टी में मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं। हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से एरोसाल के कण निकलते हैं, जो हवा को प्रदूषित करते हैं। इस तरह पराली जलाने से एक ओर जहां भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषित होता है। 

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