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आलोचकों ने भले ही उसका बोरिया बिस्तर बांध दिया था, लेकिन माही को अपनी काबिलियत पर यकीन है और उसने ऑस्ट्रेलिया में बल्ले से जवाब देकर साबित कर दिया कि भारतीय टीम के लिए आज भी उससे बेहतर 'मैच फिनिशर' नहीं है, यह कहना है महेंद्र सिंह धौनी के पहले कोच केशव रंजन बनर्जी का।
रांची के जवाहर विद्या मंदिर में धौनी को फुटबॉल से क्रिकेट में लाने वाले बनर्जी ने कहा कि आलोचना या प्रशंसा पर प्रतिक्रिया जताना कभी उनकी आदत नहीं रही।
उन्होंने रांची से दिए एक इंटरव्यू में कहा, ''वह कभी बोलते नहीं हैं। बल्ले से जवाब देते हैं। ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले मैंने उनसे कहा कि लोग इतना बोल रहे हैं तो तुम जवाब क्यों नहीं देते। इस पर उन्होंने कहा कि आलोचना से क्या होता है। जिस दिन मुझे लगेगा कि मैं टीम को सौ फीसदी नहीं दे पा रहा हूं, मैं खुद क्रिकेट छोड़ दूंगा।''
बनर्जी ने कहा, ''अब ऑस्ट्रेलिया में 'मैन ऑफ द सीरिज' रहकर उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब दे दिया है। उसकी फिटनेस और टीम की जरूरत के हिसाब से खेली गई पारियां बेजोड़ रही। उसके इस तरह खेलने से दूसरे बल्लेबाजों को भी हौसला मिला।''
उन्होंने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले रांची में उसने काफी अभ्यास किया। बच्चों के साथ मैदान पर घंटों मेहनत की और उसे यकीन था कि वह अच्छा खेलेगा।'' यह पूछने पर कि उनसे धौनी की क्या बात हुई थी, उन्होंने बताया कि अब वह हलके बल्ले से खेल रहे हैं।
उन्होंने कहा, ''माही ने बताया कि अब वह भारी बल्ला लेकर नहीं खेल रहे, जिससे 27-28 साल की उम्र में खेलते थे। इसके साथ ही फिटनेस पर लगातार मेहनत करते आ रहे हैं जो मैदान पर दिखती है। चाहे विकेटों के बीच दौड़ हो या विकेट के पीछे कीपिंग, उनकी मुस्तैदी देखते बनती है।''
विश्व कप में उनके बल्लेबाजी क्रम को लेकर काफी चर्चा हो रही है, लेकिन बनर्जी ने भारतीय उपकप्तान रोहित शर्मा का समर्थन किया कि धौनी को चौथे नंबर पर उतरना चाहिए।
उन्होंने कहा, ''चौथे नंबर पर उसे पारी के सूत्रधार की भूमिका निभाने का मौका मिलता है जो वह बखूबी कर रहा है। निचले क्रम पर आने से सिर्फ आक्रामक बल्लेबाजी का ही विकल्प रहता है। मुझे लगता है कि चौथा नंबर उसके लिए सही है।"
यह पूछने पर कि धौनी के भीतर अभी कितना क्रिकेट बाकी है? उन्होंने कहा, ''फिटनेस और फॉर्म को देखते हुए तो वह अभी कुछ साल और खेल सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि विश्व कप के बाद वह तय करेगा। किसी को उन्हें बताने की जरूरत नहीं है। जब उन्हें लगेगा कि उनका समय आ गया तो टेस्ट की तरह वह बाकी प्रारूपों से भी विदा ले लेंगे।''