लखनऊ: मदरसा बोर्ड के तीन पूर्व रजिस्ट्रार व तीन डीएमओ के खिलाफ होगी जांच, 219 मदरसे मानकों के विपरीत

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RGAन्यूज़ संवाददाता  लखनऊ

आजमगढ़ में 219 मदरसों के मानकों के विपरीत चलने के मामले में मदरसा बोर्ड के तीन पूर्व रजिस्ट्रार व तीन डीएमओ के खिलाफ की जाएगी। इस मामले में मदरसा प्रबंधकों व 110 शिक्षकों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की गई है।

लखनऊ संवाददाता:- एसआइटी जांच में आजमगढ़ में 219 मदरसे या तो कागजों में चल रहे थे या मानकों के विपरीत थे। एसआइटी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंप दी है। इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने निदेशक जे. रीभा को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है।

इस मामले में मदरसा बोर्ड के पूर्व रजिस्ट्रार जावेद असलम, ताहिर इकबाल और मोहम्मद तारिक व पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रभात कुमार, लालमन और अकील अहमद खान के नाम शामिल हैं। इनके खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी। इसके अलावा आजमगढ़ जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में तैनात लिपिक मणिराम, सरफराज व ओम प्रकाश भी जांच की जद में आएं हैं।

एसआइटी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के छह अधिकारियों, 219 मदरसा प्रबंधकों और 110 मदरसा शिक्षकों के खिलाफ गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराने की सिफारिश की है। एसआइटी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से सभी 219 मदरसों की मान्यता वापस लेने की भी संस्तुति की है।

यह मदरसे या तो मानक पूरा नहीं करते हैं या फिर अस्तित्वहीन हैं। एसआइटी ने अपनी जांच में पाया कि इन अधिकारियों ने सरकारी आदेशों और मदरसा बोर्ड के नियमों का उल्लंघन करते हुए संबंधित मदरसों को मान्यता दी थी, साथ ही मदरसों का रिकार्ड गायब करने और सरकारी धन के गबन में शामिल रहे।

इन 219 मदरसों में से 39 मदरसों ने मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत सरकारी धनराशि भी हासिल की है। 110 शिक्षकों को मानदेय के रूप में लगभग 62.84 लाख रुपये का भुगतान भी किया गया। इन शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है।

एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 219 अस्तित्वहीन मदरसों में से 180 मदरसों के शिक्षकों को मानदेय मिला या नहीं इसकी स्पष्ट जानकारी विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई। गौरतलब है कि जांच के दौरान एसआइटी को 219 मदरसों में से सिर्फ आठ मदरसों के दस्तावेज मुहैया कराए गए थे, शेष 211 मदरसों के दस्तावेज गायब थे। इन मदरसों को पिछली सरकार में मान्यता मिली थी।

 

 

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