ओउ्म हमारी आन्तरिक सुप्त शक्तियों को जागृत करने का माध्यम: - जगदीश चन्द्र सक्सेना 

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RGAन्यूज़ बरेली समाचार

इस एक छोटे-से शब्द में, ओम में, भारत ने समस्त मंत्र-योग की साधना को बीज की तरह बंद कर दिया। जैसे आइंस्टीन का रिलेटिविटी का फार्मूला है, छोटा-सा, दोत्तीन शब्द, दोत्तीन अक्षर–पूरा हो जाता है। ऐसे भारत ने जो भी अंतर-जीवन में अनुभव किया है, और जितनी विधियां मनुष्य ने विकसित की हैं सत्य की तरफ यात्रा करने की, वे सब की सब बीज-मंत्र की तरह ओम में रख दी हैं।

यह ओम अ, उ और म, इन तीन मूल ध्वनियों का जोड़ है। सारे शब्दों का विस्तार ओम का विस्तार है। सब वेदों में ओम। ओम होगा, तो सब वेद पुनः निर्मित हो सकते हैं। सीक्रेट-की आपके हाथ में है। ये तीन अ, उ और म, अगर ये तीन हों, तो जगत के सब शास्त्र निर्मित हो सकते हैं। लेकिन सब शास्त्र बच जाएं और कुंजी खो जाए, तो सब शास्त्र बेकार हो जाएंगे। ताले रह जाएंगे, चाबी खो गई।

विज्ञान भैरव में शिव ने पार्वती को कहा है कि तू ज्यादा न पूछ। ज्यादा में तुझे अड़चन होगी। थोड़े में तुझे कह दूं। अ उ म–यह जो ओम है, इसमें तू अ को भी भूल जा; इसमें तू म को भी भूल जा; वह जो बीच में बचता है, ओम के बीच में; अ भी छूट जाए, म भी छूट जाए, वह जो बीच में बचता है उ, उस उ में तू डूब जा। तो मैं तुझे उपलब्ध हो जाऊंगा।

यह तो टेक्नीक की बात है। अगर आप उ में डूब सकें…। आप कभी जोर से कहें उ, तो आपको पता चलेगा कि पूरी नाभि भीतर सिकुड़ गई। जितने जोर से उ कहेंगे, उतने ही जोर से नाभि पर जोर पड़ेगा। और नाभि जीवन का मूल ऊर्जा-स्रोत है। उसको ठीक टैप करना जिसको आ जाए…। ओम, उसको ही हैमर, उसको ही चोट पहुंचाने की तरकीब है। और उस पर जो विधिवत चोट पहुंचा दे, वह जीवन की ऊर्जा उठनी शुरू हो जाती है। कुंडलिनी जागने लगती है। ऊपर की यात्रा पर आदमी निकल जाता है।

सुना है मैंने कि एक छोटे-से गांव में एक बहुत बड़े कारखाने में एक नई मशीन लगाई गई। महीनेभर ठीक चली और फिर अचानक बंद हो गई। कोई खराबी भी न थी। कोशिश करके हार गए इंजीनियर उस कारखाने के, लेकिन कोई रास्ता न निकला। फिर तो बड़े शहर से, राजधानी से विशेषज्ञ को बुलाना पड़ा। हजार रुपया उसके आने-जाने का खर्च हुआ।

वह विशेषज्ञ आया; एक छोटी-सी हथौड़ी उसने अपनी पेटी में से निकाली और मशीन को तीन जगह, ठक ठक ठक–तीन जगह उसने किया; मशीन चल पड़ी।

मालिक ने कहा कि बड़ी कृपा आपकी। आपका बिल क्या हुआ? उसने लिखा, एक हजार रुपया। मालिक ने कहा, मजाक तो नहीं कर रहे आप? तीन जगह ठक ठक ठक करने का एक हजार रुपया? आइटमवाइज बिल बनाइए। आपने और तो कुछ किया भी नहीं। ठक ठक ठक! इसमें पहली ठक का कितना रुपया, दूसरी ठक का कितना रुपया, तीसरी ठक का कितना रुपया? आंख से मैं देख रहा हूं।

उस आदमी ने बिल बनाया। उसने लिखा कि तीन ठकों का एक रुपया, टैपिंग–रुपी वन। एंड नोइंग व्हेयर टु टैप–रुपीज नाइन हंड्रेड नाइनटी नाइन। कहां–उसके नौ सौ निन्यानबे रुपए; और जहां तक ठोंक का सवाल है, एक रुपए से चल जाएगा। और उसने नीचे लिखा कि अगर आपको ज्यादा तकलीफ हो रही हो, तो टैपिंग का आप छोड़ भी सकते हैं। वह एक रुपया न भी दें। बाकी नोइंग व्हेयर टु टैप…।

ओम जो है, वह सीक्रेट है समस्त वेदों का। वह व्यक्ति के भीतर जो परमात्मा की ऊर्जा बीज में छिपी है, उसको टैप करने की तरकीब है; उसको चोट करने की तरकीब है।
जगदीश चन्द्र सक्सेना प्रदेशाध्यक्ष बेसिक शिक्षा समिति व प्रदेश उपाध्यक्ष कायस्थ चित्रगुप्त महासभा उत्तर प्रदेश।

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