RGA न्यूज: भारत की महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा कैंसर क्यों?

Raj Bahadur's picture

 

महिलाओं में कैंसर से बचाव का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा होता है

दुनिया भर के ऑन्कोलॉजिस्ट्स को भारत में कैंसर के जुड़े आंकड़े हैरान कर रहे हैं।दरअसल हर साल भारत में कैंसर के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन फिर भी आर्थिक रूप से संपन्न अमरीका से तुलना करने पर भारत में यह दर कम है। भारत में जहां एक लाख लोगों में से 100 लोगों में कैंसर पाया जाता है वहीं अमरीका में यह आंकड़ा 300 पहुंच जाता है।इन आंकड़ों के खेल को समझने का सीधा-सा तरीका यह है कि भारत की आबादी में युवाओं का प्रतिशत बाकी देशों के मुकाबले ज़्यादा है. वहीं आमतौर पर कैंसर उम्रदराज़ लोगों में अधिक पाया जाता है।

भारत में कैंसर से जुड़े इन्हीं आंकड़ों के बीच जो बात सभी का ध्यान अपनी तरफ़ खींचती है वह ये है कि भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कैंसर ज़्यादा पाया जाता है।                 एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जहां महिलाओं के मुकाबले 25 प्रतिशत अधिक पुरुषों में कैंसर पाया जाता है वहीं भारत में यह आंकड़ा बदलकर महिलाओं की तरफ़ चला जाता है यानी भारत में महिलाएं कैंसर की ज़्यादा शिकार होती हैं।

हालांकि इस बीच कैंसर से होने वाली मौतों पर अगर नज़र डालें तो भारत में भी कैंसर से पुरुषों की मौत अधिक होती है.

इसकी एक वजह यह है कि महिलाएं अधिकतर स्तन, सर्वाइकल, ओवेरियन और गर्भाशय से जुड़े कैंसर से पीड़ित होती हैं. महिलाओं में पाए जाने वाले कैंसर में 70 प्रतिशत इसी प्रकार का कैंसर होता है और इनमें इलाज से बचाव कर पाने की गुंजाइशें अधिक होती हैं।

वहीं पुरुषों में अधिकतर फेफड़ों या फिर मुंह का कैंसर होता है. इन दोनों ही प्रकार का कैंसर बहुत अधिक धूम्रपान और तंबाकू खाने की वजह से होता है. इस तरह के कैंसर में बचाव की दर भी बहुत कम होती है।

भारत में महिलाओं के बीच सबसे ज़्यादा स्तन कैंसर पाया जाता है. एक आंकड़े के अनुसार भारत में महिलाओं को जितने भी तरह का कैंसर होता है उसमें से स्तन कैंसर 27 प्रतिशत है. ऑन्कोलॉजिस्टों के अनुसार पिछले 6 साल में महिलाओं में कैंसर की दर में ज़बरदस्त उछाल आया है।

अगर उम्र के लिहाज से स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर के पाए जाने की बात करें तो भारत में जहां 45 से 50 साल की उम्र की महिलाओं में यह अधिक पाया जाता है वहीं ज़्यादा तनख्वाह वाले देशों में यह उम्र 60 साल है।

कुछ मामलों में देखा गया है कि कैंसर वंशानुगत भी हो सकता है. शोध बताते हैं कि बीआरसीए1 और बीआरसीए2 नामक जीन से महिलाओं में कैंसर का खतरा चार से आठ गुना तक बढ़ सकता है. इसके ज़रिए यह भी समझा जा सकता है कि आखिर एक ही परिवार के कई लोगों में कैंसर क्यों पाया जाता है.

हालांकि वंशानुगत कारणों से महिलाओं में स्तन कैंसर होने का प्रतिशत महज़ 10 फ़ीसदी ही है. इसलिए महिलाओं में इतनी बड़ी संख्या में कैंसर होने के पीछे वंशानुगत कारणों को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.