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पुलवामा आतंकी हमले के बाद लोगों का गुस्सा चरम पर है। हर तरफ से बदला लेने की आवाज गूंज रही है। हर जाति-धर्म के लोग पाकिस्तान का झंडा फूंक रहे हैं। शहीदों को नमन कर रहे हैं।
मेरठ:- नगर के एक सिनेमाहाल में रविवार को फिल्म शुरू होने के पहले बजने वाले राष्ट्रगान के दौरान मंजर बदला हुआ था। ...जन-गण-मन, की जादू जगाती स्वर लहरियों के बीच दर्शकों की मुट्ठियां भिंची हुई थीं। एक ओर 70 एमएम के पर्दे पर राष्ट्रगान चल रहा था तो दूसरी ओर गम और गुस्से की मिली-जुली भावना में लोग उसका सस्वर पाठ भी कर रहे थे। राष्ट्रगान खत्म हुआ ...अचानक, भारत माता की जय और वंदे मातरम् के घोष से पूरा सिनेमाहाल गूंज उठा। आमतौर पर, आम दिनों में ऐसा होते देखा नहीं गया है ...मगर, पुलवामा कांड ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया है।
सड़क पर हैं लोग
कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले और जवानों की शहादत के बाद भारत का ऐसा चेहरा सामने आया है, जिसे देख दुश्मनों के होश उड़ गए हैं। बात मेरठ की हो या अपने दो सपूत सैनिकों को खोने वाले शामली जनपद की, लोग अपना काम-कारोबार बंद कर सड़कों पर उतर रहे हैं।
पाकिस्तान का झंडा फूंका जा रहा
पाकिस्तान और आतंकवाद को लेकर चहुंओर एक स्वत:स्फूर्त अघोषित मतैक्य साफ-साफ महसूसा जा सकता है। बागपत की गलियां हों या अभी-अभी जहरीली शराब के भीषण दंश को ङोलकर संभलने की कोशिश कर रहे सहारनपुर के चौराहे हों ...हर जगह पाकिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज फूंका जा रहा है। एक दिन और पीछे चलें तो, मेरठ शहर में शनिवार की रात काफी सर्द थी ...इसके बाद भी देर शाम करीब साढ़े सात बजे लगभग हजार लोगों का जत्था पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाता हुआ नगर में भ्रमण कर रहा था। सारे मीडिया घरानों ने इस दृश्य को कलमों और कैमरों में सुरक्षित कर लिया था लिहाजा कार्यक्रम समाप्त किया जा सकता था लेकिन यह जत्था इन सब बातों से बेपरवाह बस जोशो-जुनून में गगनभेदी नारे गुंजाता नगर की सड़कों पर घूम रहा था, रात 10 बजे तक, रविवार को भी ऐसा हुआ। पुलवामा के परिपेक्ष्य में इस जत्थे का यह आक्रोश वस्तुत: भावनाओं का वह प्रकटीकरण था जिसे व्यक्त करने के लिए केवल एक छोटा वाक्य काफी है -बस, अब बहुत हुआ।
गहरा असर छोड़ा
इसी तरह बेगमपुल पर कभी पटरी तो कभी तारकोल की काली सड़क पर चलते-बहकते से एक शराबी के कदम भले डगर-मगर हो रहे थे लेकिन उसके मुंह से आतंकवादियों के साथ ही पाकिस्तान के लिए निकलने वाले गर्मागर्म अल्फाज बिल्कुल स्थिर थे। वह दहाड़ रहा था, आतंकवादियों को सामने से आकर हमला करने ...और तब उसका परिणाम झेलने की चुनौती दे रहा था। यह घटना जरा हटकर है मगर यह बताती जरूर है कि पुलवामा कांड ने हमारे दिल-ओ-दिमाग पर कैसा व कितना गहरा असर छोड़ा है।
चरम पर जनाक्रोश
भारतीय और सनातनी समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है लेकिन इस भीषण आतंकी हमले के बाद जनाक्रोश का चरम यह है कि बुलंदशहर और मेरठ से यह एलान किया गया कि जो कोई पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर का सिर काटकर लाएगा, उसे 11 लाख रुपये इनाम दिया जाएगा। सचमुच, ..पुलवामा कांड ने बहुत कुछ बदलकर रख दिया है। वस्तुत: इस घटना ने लोगों को बुरी तरह झकझोरा है। लोग समूह में भावनाओं का प्रकटीकरण कर रहे हैं और संवेदानाओं की पावन गंगा में जाति, वर्ग, धर्म आदि की ऊंची दीवार कहीं गहरे डूब गई है।