राष्ट्रपति कोविंद ने कहा-शिक्षण संस्थाएं दे सकती हैं गरीबी, अराजकता व नस्लवाद रहित भारत

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कानपुर में ड्योढ़ी घाट महाराजपुर विपश्यना केंद्र के नवनिर्मित पुरुष ब्लॉक का उद्घाटन किया।...

कानपुर :- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर में उस डीएवी कॉलेज में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण किया जहां के वह छात्र थे। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि सिर्फ शिक्षण संस्थाएं ही गरीबी, अराजकता, नस्लवाद व आतंकवाद रहित भारत दे सकती हैं।

राष्ट्रपति के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी और औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षण संस्थाएं ही भारत को बदलने में अहम भूमिका अदा कर सकती हैं। वह ऐसा भारत बनाने में योगदान कर सकती हैं जहां पर गरीबी, आतंकवाद, नक्सलवाद या किसी तरह की अराजकता न हो। उन्होंने आर्य समाज की महत्ता पर प्रकाश डाला। 

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्य समाज ने तमाम क्रांतिकारियों को जन्म दिया। आर्य समाज ने समाज में जागरण और शुद्धि के कसरी हों या देश के स्वाधीनता संघर्ष का कालखण्ड, क्रांतिकारियों की फौज खड़ी करने का काम किया। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 1874 में भारत में समाज सुधार के लिए आर्यसमाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानन्द सरस्वती के आदर्श का समाज बनाने के लिए ही डीएवी कालेजों की स्थापना हुई। इस गौरवशाली अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल होकर में प्रसन्न हूं।

यहां शिक्षा प्राप्त पूर्व शिक्षक एवं पूर्व विद्यार्थियों की सूची बहुत लंबी भी है। उनमें से कुछ मांगों के नामों से ही पूरी परंपरा की झलक मिल जाती है। मुंशी राम शर्मा सोम उन्ही में से एक हैं। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, शालिग्राम शुक्ल और शिव वर्मा जैसे स्वाधीनता सेनानियों को इस कॉलेज के शिक्षकों का भी सहयोग मिलता है। सुरेंद्रनाथ पांडेय, ब्रह्मदत्त और महावीर सिंह जैसे पूर्व विद्यार्थियों का नाम स्वाधीनता सेनानियों में आदर्श के रूप में लिया जाता है। यहां विज्ञान के क्षेत्र में आत्माराम, साहित्य के क्षेत्र में गोपाल दास नीरज और आरसी बाजपेई ने डीएवी कालेज कानपुर का नाम रोशन किया।

यहां एलएलबी की शिक्षा वर्ष 1965 से शुरु हुई। 1969 में मेरे समय में विधि की पढ़ाई भी इसी परिसर में होती थी। बहुत अ'छा समय था वह लेकिन वह समय बहुत जल्दी बीत गया। मुझे आज भी कुछ स्मृतियां ताजा हैं। उन दिनों हॉस्टल का वातावरण अध्ययन की दृष्टि से बहुत ही शांत होता था। परीक्षा के दिनों में हम कुछ छात्र ग्रीन पार्क स्टेडियम का भी उपयोग करते थे लेकिन क्रिकेट खेलने के लिए नहीं बल्कि अध्ययन के लिए।

राष्ट्रपति ने कर्नल हरविंदर सिंह को वीरेंद्र स्वरूप स्वर्ण पदक, दीपक कुमार को जगेंद्र स्वरूप स्वर्ण पदक, मारिया जबीन को धार रानी स्वर्ण पदक, प्रताप सिंह को वीरेंद्र स्वरूप स्वर्ण पदक, मोहम्मद उमर हयात को धारा रानी रजत पदक, तन्मय श्रीवास्तव को जगेंद्र स्वरूप रजत पदक समेत 2& छात्रों को सम्मानित किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ दिन पहले पुलवामा में आतंकी घटना से पूरा देश पीड़ा में है। इसमें कानपुर भी सहभागी है। शहीद जवानों को नमन करता हूं। 

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीएवी कॉलेज की पुस्तिका का विमोचन किया। साथ ही एक पुस्तिका राष्ट्रपति को भेंट की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे एक पिता को अपनी संतान, एक गुरु को अपने शिष्य के आगे बढऩे पर प्रसन्नता होती है, वैसे ही डीएवी कॉलेज के लिए यह खुशी की बात है कि राष्ट्रपति यहां पढ़ें, देश के प्रधानमंत्री यहां पढ़े। उन्होंने कहा कि जिस तरह गुरु शिष्य के सफल होने पर प्रसन्न होता है वैसा ही क्षण डीएवी कलेज के सामने है कि उनके छात्र देश का गौरव बढ़ा रहें। इसके लिए मैं राष्ट्रपति जी का अभिनन्दन करता हू। डीएवी कॉलेज के साथ हमारा सम्बन्ध है क्योंकि इस संस्थान के ही छात्र अटल जी रहे। इसलिए अटल जी की स्मृति में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने का निर्णय लिया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- विश्व में छाप छोड़ रही है विपश्यना ध्यान पद्धति

इससे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कानपुर में ड्योढ़ी घाट महाराजपुर विपश्यना केंद्र के नवनिर्मित पुरुष ब्लॉक का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत में योग का स्थान पूरे विश्व के मानचित्र पर लाया गया ठीक उसी तरह भारत की अनेकों ध्यान पद्धतियों में से एक विपश्यना पद्धति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छा रही है। उन्होंने कहा कि आज यहां के इस कार्यक्रम में आना मेरा कमिटमेंट था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ध्यान पद्धतियों में से काफी प्रचलित विपश्यना पद्धति के काफी प्रशंसक हैं। कानपुर में उन्होंने इसको विश्व कल्याण के लिए काफी उपयोगी बताया।

राष्ट्रपति ने म्यांमार का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद मेरा वह जाना हुआ। वहां विपश्यना ध्यान पद्धति के प्रमुख प्रणेता सत्यनारायण गोयनका से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि म्यांमार में जिसे स्वेडा पगौडा देखने को मिले उसे जरूर देखें। 18 वर्ष पहले इस पद्धति से जुडऩे का भी मौका मिला। यह बहुत आकर्षित करने वाली और अच्छी पद्धति है।

राष्ट्रपति ने आज कानपुर में अपने भाई रामशंकर कोविंद व अन्य परिवारीजनों से भी मुलाकात की। विपश्यना ध्यान केंद्र के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सांसद देवेंद्र सिंह भोले तथा प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना आदि मौजूद रहे।

जुबां पर रहीं गंगा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन को खत्म करने से पहले कहा कि ड्योढ़ी घाट महाराजपुर के इस विपश्यना केंद्र को गंगा नदी के समीप बेहद रमणीक स्थल और वातावरण के बीच बनाया गया है। इसकी कुछ विशेषता है, आप सभी अनुभव से इसका लाभ ले सकते हैं। पूरे विश्व कल्याण के लिए यह उपयुक्त होगा। 

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