नगर निगम नींद में मच्छरों का तांडव

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बरेली ब्यूरो राजबहादुर शर्मा 

बरेली जिला कीट अधिकारी की आशंका सच साबित होने लगी। मच्छरों के झुंड मुश्किल पैदा करने लगे हैं। जिला अस्पताल में शुक्रवार को बड़ी तादात में बुखार पीड़ित पहुंचे। अधिकांश की मलेरिया की आशंका के चलते जांच हुई। इसके अलावा पंद्रह बुखार के मरीज भर्ती हैं। हालात आगे भी खराब होंगे, ऐसी आशंका अब डॉक्टर भी जता रहे हैं। बावजूद नगर निगम सो रहा है और मच्छरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है।

एनाफिलीज मच्छरों की बढ़ रही तादाद

मच्छरों की बढ़ती फौज में क्यूरेक्स के अलावा एनाफिलीज मच्छर सबसे ज्यादा खतरनाक हैं। क्यूरेक्स फाइलेरिया तो एनाफिलीज मच्छर मलेरिया का कारण होता है। ख्रास बात है कि रात की ठंड के मौसम में ये दोनों मच्छर तेजी से पनपते हैं।

खोखले साबित हो रहे दावे

नगर निगम का दावा है कि फॉगिंग के जरिये एंटी लार्वा का छिड़काव शहर में वार्ड वार किया जा रहा है। इसके लिए दो मशीनें भी लगी हैं। लेकिन मच्छर की संख्या कम होने की बजाए बढ़ रही है। दावे और फॉगिंग की क्वालिटी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

जलभराव ने बढ़ा दी लोगों की मुश्किल

मच्छरों की बढ़ती तादाद का एक मुख्य कारण शहर में यहां-वहां होने वाला जलभराव और चोक व खुली नालियां भी हैं। बहते पानी में मच्छर अंडे नहीं दे सकते हैं। ठहरे दूषित पानी में मच्छरों के लार्वा तेजी से पनप रहे हैं। नगर निगम की ओर से नाले-नालियों की सफाई के लिए अभी तक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो सके हैं

 

कैसे पहचानें मलेरिया है या नहीं

मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है। यह परजीवी मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से शरीर में आता है। मलेरिया पीड़ित को सर्दी और सिरदर्द के साथ बार-बार बुखार आता है। कभी बुखार कम हो जाता है तो कभी दोबारा आ जाता है। गंभीर मामलों में रोगी कोमा में चला जाता है। कई बार मौत तक हो जाती है। कैसे करें बचाव

मच्छरों को पनपने से रोकें। मलेरिया के मच्छर रात में सक्रिय होते हैं, इस समय विशेष सावधान रहें। मच्छरदानी का उपयोग करें और हो सके तो मच्छरदानी पर कीट रिपेलेंट परमेथ्रीन भी लगाएं। फुल कपड़े पहनें, पहनने वाले कपड़ों पर भी परमेथ्रीन लगाएं। वर्जन--

ओपीडी में आने वाले तमाम मरीज बुखार के हैं। वार्ड में भी करीब पंद्रह मरीज भर्ती हैं। अभी तक मलेरिया के चार संदिग्ध मरीज सामने आए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद अन्य की पुष्टि हो सकेगी।

-वागीश वैश्य, वरिष्ठ फिजीशियन, जिला अस्पताल

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