लालू,-राबड़ी से मिलकर भी ठंडे नहीं पड़े मांझी, महागठबंधन की बैठक के बाद खोलेंगे पत्ते

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RGA News बिहार पटना

महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर विवाद जारी है। लालू के बाद राबड़ी व तेजस्‍वी से मुलाकात के बाद भी मांझी का गुस्‍सा ठंडा नहीं पड़ा है। क्या होगा मांझी का अगला कदम पड़ताल करती खबर। ..

पटना :- बिहार के महागठबंधन में भले ही सियासी शांति दिखे, पर हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतन राम मांझी के तेवर बताते हैं कि आग कहीं अंदर ही अंदर सुलग रही है। राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद भी उनके तेवर ठंडे नहीं पड़े हैं। राजनीतिक गलियारों में मांझी की नाराजगी को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। माना जा रहा है कि सीट बंटवारे की बैठक के बाद मांझी अपने पत्ते खोलेंगे और कोई चौंकाने वाला फैसला सार्वजनिक कर सकते हैं। 

रांची जाकर लालू से की थी मुलाकात

पिछले महीने 'हम' की राज्य कार्यकारिणी और इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकों में पार्टी नेताओं ने महागठबंधन में अनदेखी किए जाने का मुद्दा उठाया था। पार्टी नेताओं की नाराजगी को देखते हुए मांझी ने अधिक सीटों की मांग सीधे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से करने का एलान किया था। 23 फरवरी को मांझी ने रांची जाकर लालू से मुलाकात भी की।

राबड़ी-तेजस्‍वी से भी नहीं बनी बात

मांझी ने लालू प्रसाद को पार्टी की मान्यता का हवाला देकर तीन से अधिक सीटों का दावा किया। तेवर बताते हैं कि उनकी बात बनी नहीं है। लेकिन मांझी नाउम्मीद नहीं हैं। बीते छह मार्च को उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और इसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की। इन मुलाकातों को भी सीट प्रकरण से जोड़कर देखा जा रहा है

महागठबंधन की बैठक के नतीजों का इंतजार

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीएल वैश्यन्त्री कहते हैं वे अपनी मांग पर अडिग हैं। उन्‍हें राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) से हमें कम से कम एक सीट अधिक चाहिए। इसपर अंतिम सहमति नौ से 11 मार्च की प्रस्तावित महागठबंधन की बैठक में बनेगी। उन्‍होंने कहा कि बैठक के नतीजों के आधार पर उनकी पार्टी आगे की रणनीति तय करेगी। बीएल वैश्यन्त्री कहते हैं कि यदि संतोषजनक सीटें नहीं मिलती हैं तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर पार्टी आगे की रणनीति सार्वजनिक करेगी।

ये है मांझी की नाराजगी की असली वजह

जानकार बताते हैं कि मांझी की नाराजगी की वजह भी है। उनके दल की 'हम' की मान्यता इन दिनों खतरे में है। यदि चुनाव में मांझी के दो प्रत्याशी नहीं जीतते हैं या फिर उन्हें छह फीसद से कम वोट आते हैं तो उनके दल की मान्यता वापस हो सकती है। अब देखना यह होगा कि मांझी अपने तेवर को भुनाने में कितना सफल हो पाते हैं।

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