क्या भाजपा ने आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं पढ़ी हैं?

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RGA News                                                                    भारत में फिलहाल संविधान निर्माता भीमराव आंबेडकर के नाम पर सियायत गर्म है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज उनके हस्ताक्षर से उनका पूरा नाम भीमराव रामजी आंबेडकर ढूंढ निकाला है और फिर सरकारी तौर पर यही नाम इस्तेमाल करने का शासनादेश जारी कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में इस समय बीजेपी की सरकार है। राज्य सरकार जानती थी कि उनके इस फ़ैसले के कई सियासी मायने निकाले जाएंगे और ऐसा हुआ भी।

'पूरे नाम की परंपरा सिर्फ़ आंबेडकर के लिए क्यों?'

'कांग्रेस ने भी जोड़ा था आंबेडकर के नाम में रामजी'

सबसे पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूरा संविधान पढ़ने की सलाह दी।

इसके बाद बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने  कहा, "भीमराव आंबेडकर को लोग आदर से 'बाबा साहब' कहकर बुलाते हैं और सरकारी दस्तावेज़ों में उनका नाम भीमराव आंबेडकर ही है। यदि पूरा नाम लिखने की परंपरा की बात की जा रही है तो क्या सभी सरकारी दस्तावेजों में प्रधानमंत्री का नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी ही लिखा जाता है?

लेकिन नाम को लेकर हो रही सियासत के बीच सवाल ये भी है कि क्या राजनेता आंबेडकर के विचारों का भी पालन करते हैं? क्या वे उनके रास्ते पर भी चलते हैं?

क्या वे उन 22 प्रतिज्ञाओं के बारे में जानते हैं जो 15 अक्टूबर, 1956 को आंबेडकर ने बौद्ध धर्मं में 'लौटने' पर अपने अनुयायियों के लिए निर्धारित की थीं।

अंबेडकर की कुछ दुर्लभ तस्वीरें

उन्होंने इन 22 प्रतिज्ञाओं को निर्धारित किया ताकि हिंदू धर्म के बंधनों को पूरी तरह पृथक किया जा सके। ये प्रतिज्ञाएं हिंदू मान्यताओं और पद्धतियों की जड़ों पर गहरा आघात करती हैं।

  • मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
  • मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
  • मैं गौरी, गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा।
  • मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ।
  • मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।
  • मैं श्रद्धा (श्राद्ध) में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूंगा।
  • मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा।
  • मैं ब्राह्मणों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा।
  • मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ।
  • मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा।
  • मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करूँगा।
  • मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा।
  • मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालु रहूंगा तथा उनकी रक्षा करूँगा।
  • मैं चोरी नहीं करूँगा।
  • मैं झूठ नहीं बोलूँगा।
  • मैं कामुक पापों को नहीं करूँगा।
  • मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करूँगा।
  • मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और अपने दैनिक जीवन में दयालु रहने का अभ्यास करूँगा।
  • मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ।
  • मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है।
  • मुझे विश्वास है कि मैं (इस धर्म परिवर्तन के द्वारा) फिर से जन्म ले रहा हूँ।
  • मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा।

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